कम्युनिस्टों की गुंडाई के खिलाफ मानवाधिकार रक्षा मंच का प्रदर्शन

मानवाधिकार रक्षा मंच हिमाचल प्रदेश द्वारा शिमला के उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया. मंच द्वारा यह धरना हि.प्र. विश्वविद्यालय के हॉस्टल में शाखा लगाने पर एसएफआई के नक्सली छात्रों द्वारा तेज धारदार हथियारों से स्वयंसेवकों पर हुए घातक हमले तथा कम्युनिस्टों द्वारा पोषित एसएफआई के गुंडाई मानसिकता के छात्रों द्वारा विश्वविद्यालय परिसर का माहौल बिगाड़ने के विरोध में आयोजित किया गया.

धरने में मंच के सचिव एडीजीपी (से.नि.) केसी सड्याल ने प्रदेश सरकार से मांग की कि हमले में शामिल दोषी छात्रों को अविलंब गिरफ्तार कर कठोर सजा दी जाए, अन्यथा मंच पूरे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन कर सरकार के परिसरों का घेराव करेगा. विश्व हिन्दू परिषद के प्रदेश सहमंत्री सुनील जसवाल ने कम्युनिस्टों को विश्वविद्यालय का माहौल न बिगाड़ने की चेतावनी दी. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् की राष्ट्रीय मंत्री हेमा ठाकुर ने एसएफआई व अर्बन नक्सलियों के गठजोड़ द्वारा विश्वविद्यालय के हॉस्टलों में रह रहे छात्रों पर सोते समय तेज धारदार हथियारों से हमला कर उनको जख्मी करने की निंदा की. उन्होंने कहा कि कम्युनिस्टों का केरल व बंगाल का हिंसा का मॉडल देवभूमि में नहीं चलेगा.

परिषद् की छात्रा कार्यकर्ताओं के साथ भी की मारपीट

सोमवार को विद्यार्थी परिषद की तीन कार्यकर्ता आईजीएमसी से वापिस अपने हॉस्टल जा रही थीं तो रास्ते में मौजूद एसएफआई की छात्राओं ने समरहिल चौक पर छात्राओं के साथ मारपीट की, साथ ही धमकी दी कि अगर तुम हॉस्टल आईं तो तुम्हें काट दिया जाएगा. इससे छात्राएं सहमी हुई हैं.

परिषद् की राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य कोमल वेकटा ने कहा कि आज तक का हिमाचल प्रदेश विवि का इतिहास उठा कर आप देखेंगे तो पूर्व में भी एसएफआई के छात्र नेताओं के लिवास में बैठे शहरी नक्सलियों ने विवि में विद्यार्थी परिषद् के पूर्व राष्ट्रीय मंत्री के सिर में तलवार मार कर अस्पताल पहुंचाया था, वर्तमान राष्ट्रीय मंत्री हेमा ठाकुर पर भी एसएफआई के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष ने हमला किया था.

हिमाचल में पुराना है रक्तपात का इतिहास

कम्युनिस्टों का रक्तपात का पुराना इतिहास है. केरल व बंगाल इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं. हिमाचल भी वामपंथियों द्वारा विरोधियों के रक्तपात से अछूता नहीं रहा है. विवि की स्थापना से अब तक चार हत्याएं वामी गुंडे कर चुके हैं. एक घटना….

07 अगस्त 1988, हि.प्र. एनएसयूआई के जनरल सेक्रेटरी नसीर खान छात्रावास के कमरे में थे, इसी दौरान एसएफआई के कार्यकर्ताओं ने कमरे में घुसकर उन्हें बुरी तरह से पीटा, घायल नसीर को अस्पताल ले जाया गया, पर उनकी स्थिति में सुधार न देख चिकित्सकों ने 9 अगस्त को पीजीआई के लिए रेफर कर दिया. पीजीआई में भी हालत में सुधार नहीं हुआ, और 11 अगस्त को नसीर खान की मृत्यु हो गई. अपने वैचारिक विरोधियों के पीछे तलवार लेकर दौड़ते एसएफआई कार्यकर्ताओं की फोटो भी मीडिया की सुर्खियों में रही है.

24 मार्च को शाखा पर किया था हमला

24 मार्च रविवार सुबह हर दिन की तरह करीब छह बजे विवि में पढ़ने वाले स्वयंसेवक पॉटर हिल मैदान में शाखा के लिए एकत्रित होने लगे तो वहां पहले से एसएफआइ के 50 से अधिक कार्यकर्ता उपस्थित थे और किक्रेट खेल रहे थे. जो उस दिन क्रिकेट खेलने के लिए सुबह पांच बजे ही पहुंच गए थे. एसएफआई के कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों में शाखा लगाने को लेकर कहासुनी हुई. इतने में ही एसएफआई के गुंडों ने डंडे, रॉड और तेजधार हथियारों से हमला कर दिया. इस दौरान 15 स्वयंसेवक घायल हो गए. एसएफआई के गुंडे लड़ाई की मंशा से आए थे, इसी कारण उनके पास रौड, दराट पहले से उपलब्ध थे. इसके बाद कम्युनिस्ट गुंडे विवि छात्रावास में गए और वहां अपने कमरों में सो रहे विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं पर भी हमला कर दिया.

पुलिस जांच में षड्यंत्र का खुलासा हुआ. छात्र विकास ने बताया कि एसएफआइ के कुछ कार्यकर्ता शनिवार को उसके कमरे में आए थे और रातभर उसे बंद करके रखा। यही नहीं उसे पीटा भी. उससे पूछा था कि सुबह ग्राउंड में आरएसएस की शाखा कब लगती है. इसके बाद विकास को कमरे में बंद कर दिया. एसएफआइ के कार्यकर्ता रात को बीच-बीच में उसके कमरे में आते रहे.

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