गाय के गोबर से बनी लकड़ी से अंतिम संस्कार की तैयारी, हर साल 4000 पेड़ बचेंगे

नागपुर और ग्वालियर की तर्ज पर भोपाल में भी गौ काष्ठ (गोबर से बनी लकड़ी) से अंतिम संस्कार की तैयारी हो रही है. नागपुर में तो महानगरपालिका गौ काष्ठ उपलब्ध करा रही है. यह प्रयोग सफल होने पर पर्यावरण के संरक्षण में मदद मिलेगी. भोपाल के तीन बड़े विश्रामघाटों सुभाष नगर, छोला और भदभदा पर कुल मिलाकर 4000 अंतिम संस्कार होते हैं. एक अंतिम संस्कार में औसत तीन क्विंटल लकड़ी का उपयोग होता है, यानी साल भर में 12 हजार क्विंटल लकड़ी केवल अंतिम संस्कार में लग जाती है. सेंट्रल पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. वाईके सक्सेना जी ने बताया कि तीन महीने पहले उनके पिता का निधन होने पर उनका ग्वालियर में अंतिम संस्कार किया था. उस समय उन्हें पता लगा कि गौ काष्ठ से अंतिम संस्कार की सुविधा उपलब्ध है. उन्होंने गौ काष्ठ से ही पिता का अंतिम संस्कार का निर्णय लिया. बाद में इसे भोपाल में भी लागू करने के लिए उन्होंने भदभदा विश्रामघाट समिति के उपाध्यक्ष पांडुरंग नामदेव से संपर्क किया.

पर्यावरण संरक्षण

इस प्रयोग से परंपरा के पालन के साथ सालभर में 12 हजार क्विंटल लकड़ी बचेगी. एक पेड़ से करीब तीन क्विंटल लकड़ी निकलती है. भोपाल उत्सव मेला समिति भी इसमें सहयोग करेगी…भदभदा विश्रामघाट समिति द्वारा की गई पड़ताल में यह बात सामने आई कि नागपुर में यह प्रयोग ज्यादा सफल है. जयपुर और ग्वालियर में केवल गोबर से लकड़ी बनाई जा रही है, जबकि नागपुर में भूसा और अन्य बायोडिग्रेडेबल सामग्री का उपयोग किया जा रहा है. और इसका आकार ईंट जैसा है. समिति के अध्यक्ष कृष्णकांत भट्ट ने बताया कि भोपाल उत्सव मेला समिति के सदस्य ओमप्रकाश सिंघल की हलालपुर डैम पर गौशाला है, जिसमें करीब ढाई हजार गाय हैं. सिंघल और विश्रामघाट समिति के कुछ सदस्य नागपुर जाकर इसका मुआयना करेंगे. इसके बाद निर्णय लिया जाएगा कि ग्वालियर और नागपुर में से कौन सा प्रयोग अधिक सफल है. भोपाल उत्सव मेला समिति भी इसमें सहयोग करेगी.

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