जानिए जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना करने वाले मौलाना मसूद अजहर का पूरा इतिहास

2_01_04_20_maksur-ahmed_1_H@@IGHT_415_W@@IDTH_675चौबीस दिसंबर 1999 को आतंकियों ने काठमांडू से दिल्ली आ रहे इंडियन एयरलाइंस के विमान आईसी 814 का अपहरण कर लिया, बाद में इसे कांधार ले जाया गया था। इसमें सवार 176 लोगों को बचाने के लिए सरकार ने आतंकियों की मांग मान ली और मसूद अजहर सहित तीन आतंकियों को छोड़ दिया. मसूद अजहर ने पाकिस्तान लौटने के बाद कुख्यात आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की स्थापना की। सेना ने उरी में हमले के पीछे मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों का हाथ बताया था। इससे नौ महीने पहले जैश ने पठानकोट पर आतंकी हमला किया था। जैश के 2000 में आतंकवादी संगठन बनने के बाद उसका बड़ा आतंकवादी कारनामा यह था कि उसने 2001 में लश्कर-ए-तैयबा के साथ भारत की संसद पर आतंकी हमला किया था। तब संसद के परिसर में 100 से ज्यादा सांसद मौजूद थे।

जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान के सबसे खतरनाक आतंकी संगठनों में से है और वह कश्मीर में कई आतंकी हमले कर चुका है. वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से ज्यादा ऑपरेट करता है. उसका एक ही लक्ष्य है- जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग कराना. जैश-ए-मोहम्मद को बनाने में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई, अफगानिस्तान की तालिबान आलाकमान, ओसामा बिन लादेन और पाकिस्तान के कई सुन्नी संगठनों ने मदद की थी.

अपनी स्थापना के दो महीने के भीतर ही इस संगठन ने श्रीनगर में भारतीय सेना के स्थानीय मुख्यालय पर आत्मघाती हमले की ज़िम्मेदारी ली थी. 23 अप्रैल 2000 को हुए इस हमले में एक आतंकी ने विस्फोटक पदार्थों से भरी कार को मुख्यालय के दरवाजे पर ले जाकर धमाका कर दिया था। 24 सितंबर 2001 को इस तरह एक आतंकी ने विस्फोटक से भरी कार श्रीनगर में विधानसभा भवन से टकरा दी थी। इसी बीच कुछ दूसरे आतंकी विधानसभा की पुरानी बिल्टिंग में घुस गए और उन्होंने वहां आग लगा दी. इस घटना में 38 लोग मारे गए थे.

जैश ए मोहम्मद और लश्कर–ए-तैयबा दोनों ने भारतीय संसद पर हमले में संयुक्त रूप से हिस्सा लिया था। लेकिन जैश की रणनीति लश्केर ए तैयबा से अलग है। दरअसल इस्लाम में आत्महत्या करना बड़ा गुनाह कहा जाता है इसलिए  लश्कर–ए-तैयबा फिदायीन हमलों पर जोर देता है। जबकि जैश ए मोहम्मद आत्मघाती हमलों पर जोर देता है।

जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर का जन्म पाकिस्तान के बहावलपुर में 1968 में हुआ था। कराची के बिनोरी मदरसे में पढ़ने के बाद वह शिक्षक बन गया। हरकत उल मुजाहिदीन से जुड़ने के बाद अजहर जिहाद के ट्रेनिंग कैंप में शामिल होने अफगानिस्तान चला गया। उसने सोवियत संघ के विरूद्ध युद्ध में हिस्सा लिया । इसके बाद अजहर हरकत का महासचिव बन गया।

जनवरी 1994 में अजहर ढाका से नई दिल्ली आया। यहां से फिर श्रीनगर चला गया। 10 फरवरी को उसे और हरकत के कमांडर सज्जा द अफगानी को सुरक्षा बलों ने पकड़ लिया। आईसी-814 अपहरण के बाद अजहर को उमर शेख और मुश्ताक अहमद जरगार के साथ छोड़ा गया। विमान अपहरण के दौरान अजहर के तालिबान से रिश्ते मजबूत हुए। अजहर ने हरकत के कुछ साथियों के साथ मिलकर जैश ए मोहम्मद का गठन किया। संसद हमले के बाद भारत ने पाक से टॉप 20 आतंकियों को मांगा जिसमें अजहर टॉप पर था। पाकिस्तान ने उसे गिरफ्तार किया लेकिन 2002 में उसे रिहा कर दिया.

मसूद अजहर के आतंकी संगठन पर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और भारत समेत कई देशों में प्रतिबंधित है। फिर भी मसूद अजहर पाकिस्तान में खुलेआम रैलियों में भारत के खिलाफ जहर उगलता है। अमेरिका ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि पाकिस्तान ने भारत में हमलों के लिए जिम्मेदार लश्कर ए तैयबा और जैश ए मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के खिलाफ ‘‘पर्याप्त कार्रवाई’’ नहीं की है।

कुछ दिनों पहले एक अंग्रेजी अखबार ने कराची शहर के कई वीडियो हासिल किए थे इनमें एक व्यक्ति खुफिया कैमरा लेकर पाकिस्तान में 2002 से ही बैन आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद की काली करतूत का पर्दाफाश कर रहा है।

भारत के संसद पर हमले के बाद अपनी खूंखार छवि बनाने वाले जैश के आईएसआई ने करीब दस साल पहले पर कतर दिए थे। क्योंकि इसके प्रमुख मौलाना मसूद अजहर ने पाक सेना को ही चुनौती देनी शुरु कर दी थी। लेकिन कश्मीर में आतंक फैलाने के नाम पर जैश की फिर से वापसी हो गई है। मगर पाकिस्तान में ऐसे आतंकी संगठन थोक के भाव में हैं।

साभार
पात्र्चजन्य

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