जीवन के हर क्षेत्र में शोध की आवश्यकता – दत्तात्रेय होसबले

युवा कुम्भ – 2018

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि जीवन के हर क्षेत्र  में शोध की आवश्यकता है. अब भारत पिछड़ा नहीं है. इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी में, स्पेस में, शोध के कार्य को आगे बढ़ा रहा है. देश के सैनिकों को विश्वास प्रदान करना, देश के हर युवा का कर्तव्य है. देश का हर शोध देश के विकास से जुड़ा होना चाहिए. दत्तात्रेय होसबले रविवार को लखनऊ में आयोजित युवा कुम्भ में संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सुबह यहां थे, तब लोगों ने कहा अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए. बिलकुल ठीक है, जल्दी होना चाहिए. ये मैं मानता हूं, हम चाहते हैं कि इन्हीं के हाथों से हो. आप लोगों के सामने हो. मंदिर जरूर बनेगा.

उन्होंने कहा कि सुशिक्षित नौजवानों का ये दायित्व है कि वह दूसरों का भी विकास करें. योजनाओं के माधयम से होने वाले विकास आवश्यक हैं. हमें समाज के विभिन्न आयामों में सेवा चाहिए. स्वामी विवेकानन्द ने कहा था – आपके अंदर संवेदना है. उन्होंने तब देश के नौजवानों से पूछा था कि आपकी संवेदना कितनी गहरी है. उनकी वह बात आज भी प्रासंगिक है.

सह सरकार्यवाह ने कहा कि आप संवेदनशील हैं. आपके पास मार्ग है. आप आगे बढ़ रहे हो. हर मार्ग में आने वाली बाधा को चीर कर बढ़ने की हिम्मत है. आप हर लक्ष्य तक पहुंचेंगे. जितने क्रान्तिकारी भारत में जन्मे, उतने विश्व में कहीं नहीं जन्मे. उनके ऋण को चुकाने का समय है. वर्ष 2025 में महाकुम्भ आएगा. तब तक भारत सुरक्षा, शिक्षा के आयामों में दुनिया के लिए सिरमौर बने, ऐसा करना है. युवाओं के बीच रहने वाले हर एक व्यक्ति को लगता है कि हम भी युवा हो गए. उन्होंने कहा कि ममता और समता के आधार पर सारी वसुंधरा को एक परिवार बनाने का दिन आना चाहिए. उसका नेतृत्व इस भारतवर्ष को ही करना होगा. केवल सपने देखना हमारा काम नहीं है.

कुम्भ संस्कार, सद्भावना जीवन में प्राण भरने का प्रतीक – स्मृति ईरानी

लखनऊ. केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि जब-जब कुम्भ का उल्लेख होता है. तब-तब हमारे देश में विचार होता है कि कुम्भ संस्कार, सद्भावना जीवन में प्राण भरने का प्रतीक है. लेकिन आज का ये युवा कुम्भ पूरे राष्ट्र को संकेत देने का प्रतीक है कि भारत के युवा को देश, दुनिया में गौरव मिले, सम्मान मिले. एक ऐसे युवा का सम्मान हुआ जो 25 साल तक न बोल पाए, न सुन पाए, लेकिन भारत के प्रशासन में अपनी काबिलियत को दिखाया. स्मृति ईरानी युवा कुम्भ में संबोधित कर रही थीं.

उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे लोग हैं, जो देश की राजधानी में भारत के टुकड़े होने का नारा देते हैं. मैं ऐसे लोगों से कहती हूं कि देखो ये मंच और जान लो, भारत की युवा पीढ़ी एक ध्वज के नीचे भारत को एकत्रित होने का संकल्प लेती है. कुछ लोग हैं, जो सामान्य नौजवान की देशभक्ति को कटघरे में खड़ा करने का साहस करते हैं. मां भारती के चरणों में जो शीश झुकाता है, जय श्री राम का उद्घोष करता है, उस पर वो लोग प्रश्नचिन्ह लगाते हैं.

उन्होंने स्वामी विवेकानंद का उल्लेख करते हुए कहा कि स्वामी जी ने हिन्दू कौम को परिभाषित करते हुए कहा तुम वास्तव में तब ही हिन्दू हो, जब हिन्दू सुनते ही तुम्हारे अंदर बिजली दौड़े. जब हिन्दू कहलाने वाले का दुःख तुम्हे चुभे, जैसे तुम्हारा अपना ही कोई विपत्ति में पड़ गया हो. वो लोग जो सामान्य नौजवान को इसलिए कटघरे में खड़ा करते हैं, क्योंकि वह कहता है कि मैं हिन्दू हूं. उनको अटल जी की पंक्तियां समर्पित करती हूं. ”कोई बतलाए काबुल में जाकर कितनी मस्जिद तोड़ी, हिन्दू तन मन हिन्दू जीवन, रग रग हिन्दू मेरा परिचय.”

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रभक्ति क्या है. सम्पूर्ण समाज देश के प्रति भक्ति का भाव रखे, ये सुरक्षा की गारंटी है. देश में प्रत्येक नागरिक के साथ भाई का व्यवहार करे, इसी शक्ति से आज राष्ट्र को समर्पित देख रही हूं.

राममंदिर को बनने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती – राजनाथ सिंह

लखनऊ. केन्द्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने राममंदिर को लेकर कहा कि भव्य राममंदिर बनने से दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकती. यह हमारी प्रतिबद्धता है और इस पर संदेह नहीं किया जाना चाहिए. गृहमंत्री राजधानी में आयोजित युवा कुम्भ को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि प्रयाग में होने वाले कुम्भ के लिए किसी को अधिसूचना जारी करने की जरूरत नहीं पड़ती कि कुम्भ होने जा रहा है. लोग अपने आप वहां पहुंचते हैं. बिना प्रचार के विश्व में अगर कहीं करोड़ों की संख्या उमड़ पड़ती है तो वो कुम्भ में होता है.

राजनाथ ने कहा कि जिस दिन हमारा समर्पण टूट जाएगा, उस दिन विश्व गुरु बनने का हमारा सपना टूट जाएगा. तकनीक के मामले में सर्वाधिक अनुसंधान आपके जैसे नौजवानों ने किया है. पं दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानवदर्शन को कैसे लागू किया जा सकता है, इसको विचार करें. इस युवा कुम्भ में सरकारों का मार्गदर्शन आपकी तरफ से होना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हमें इस सच्चाई को नहीं भूलना चाहिए कि स्वामी विवेकानंद जी के शिकागो के भाषण की 125वीं वर्षगांठ हम लोगों ने मनाई थी. विवेकानन्द ने कहा था हमारे देश में मनुष्य निर्माण का काम संस्कारों के माध्यम से होता है.

केवल धन, सैन्य शक्ति के आधार पर भारत विश्वगुरु के पद पर आसीन नहीं हो सकता है. ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में भी आगे बढ़ाने की ताकत हमारे युवाओं में है .कई जगह जिसके पास अधिक भूभाग और धन हो, उसे महान माना जाता है. प्राचीन भारत में अब तक राजा रामचंद्र और राजा हरिश्चंद्र को हम महान मानते हैं ऐसा क्यों? मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने समाज में अपने प्राणों से प्यारी सीता माता को भी अपने से अलग किया था, राजा हरिश्चंद्र ने त्याग समर्पण किया. जो ज्ञान-विज्ञान भारत के पास था और है वो कहीं देखने को नहीं मिलेगा.

उन्होंने कहा कि बिना एक भी अपने सिपाही को भेजे भारत ने चीन पर अपना सांस्कृतिक प्रभाव रखा है, ये वहां के विद्वान ने लिखा है. विडम्बना है – लंबे समय तक अंग्रेजों का शासन यहां रहा, लोगों की यह धारणा बन गई कि ज्ञान और विज्ञान वहीं से आया है. पाइथागोरस थ्योरम भारतीय ग्रंथो में देखने को मिलेगी. उन्होंने कहा कि भारत सर्वाधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है. दुनिया के 10 देशों में 9वें स्थान से 6 स्थान पर पहुँच गया है और 2030 तक रूस, अमेरिका और चीन को पीछे छोड़कर टॉप 3 देशों में आकर खड़ा हो जाएगा.

इतिहास बनाया करते हैं भारत के युवा – स्वामी वागीश

लखनऊ. लखनऊ के आशियाना बाजार स्थित स्मृति उपवन में युवा कुम्भ को सम्बोधित करते हुए युवा सन्यासी वागीश स्वरूप शास्त्री ने कहा कि भारत का युवा कभी पीछे नहीं रहा. कभी किसी से पीछे नहीं रहेगा. भारत में कुछ युवा ऐसे होते हैं, जो इतिहास बनाया करते हैं. भारत भूमि धन्य है, जिसकी प्रशंसा देवता भी करते हैं. “गायन्ति देवा किल गीत कानि-धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे”.

उन्होंने कहा कि यह वह भारत भूमि है, जहाँ परमाणु से लेकर ब्रह्मांड तक पर शोध किया जाता रहा है. हिन्दू संस्कृति उत्साह की संस्कृति है.

उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य शारदा पीठ के आचार्य पद पर विभिन्न मतों के आचार्यों से शास्त्रार्थ के बाद बैठे थे. जब वे आचार्य पीठ पर विराजित होने जा रहे थे तो माता शारदा ने उन्हें रोक दिया था. तब उन्होंने आत्मा की नित्यता और शाश्वतता की बात कहकर निरुत्तर कर दिया था. माँ शारदा ने स्वयं उन्हें अपनी सर्वज्ञ पीठ पर बैठाया था.

आज का युवा राष्ट्र की बात तो करता है. आध्यात्मिकता की बात करता है, लेकिन सच यह है कि वह अध्यात्म से दूर है. जब हम शिवाजी को देखते हैं तो हमें स्वामी रामदास को भी देखना होगा. अध्यात्म नहीं होगा तो हम समाज और राष्ट्र की दीर्घ अवधि तक सेवा नहीं कर सकेंगे. कार्यक्रम का संचालन काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ. राकेश उपाध्याय ने किया.

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