मुस्लिम समाज अपनी जड़ों से बँधा रहे, इस्लाम की पहचान अमन बने आतंक नहीं – मा. इंद्रेशकुमार

image1-5विसंके जयपुर। 26 फरवरी को मुंबई के अंजुमन इस्लाम संस्था में मुंबई विश्व संवाद केंद्र तथा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने वरिष्ठ पत्रकार, विचारवंत तथा लेखक पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन की श्रद्धांजली सभा आयोजित की गई। पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन का कुछ दिन पहले ही निधन हुआ था।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार ने मुजफ्फर हुसैन के जीवन संस्मरण बताते हुए कहा कि विद्यार्थीकाल में वामपंथियों के बहकावे में आकर मध्यप्रदेश में रा.स्व.संघ के तत्कालीन सरसंघचालक गोलवलकर गुरूजी के प्रवास के विरोध में पत्रक वितरित करते हुए स्वयंसेवकों ने उन्हें पकड़ लिया और गुरूजी के सामने ले गए। उन्हें लगा डाँट पड़ेगी पर उन से स्नेहपूर्ण संवाद हुआ। यह उन का संघ को समझने का प्रथम अनुभव रहा। तत्पश्चात यह संबंध निरंतर बढता रहा। मा. सुदर्शनजी से तो अधिक निकट बंधुवत संबंध रहा। संघ को साथ लेकर मुस्लिम समाज में कार्य करने तथा मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की स्थापना से अब तक उन की महत्वपूर्ण भूमिका रही।
“हिंदुस्तान का मुस्लिम समाज इस देश की मुख्य धारा में रहे। उस की जड़ें बाबर, हुमायूँ, अकबर, औरंगजेब जैसे आक्रांताओं में नहीं हैं। इनसे इस्लाम की सलामती की छवि बिगड़ जाती है और आतंक से उसका नाता जुड़ता है। इस स्थिति से पद्मश्री मुजफ्फर हुसैनजी बहुत पीड़ित रहते थे। इसलिये मुल्ला-मौलवियों को स्वयं आगे आ कर अपने समाज का प्रबोधन करना चाहिये ऐसी उन की इच्छा थी। इस दिशा में उन्होंने जीवनभर अथक प्रयास किये। ऐसे अनेक संस्मरण राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य मा. इंद्रेशकुमारजी ने अपने श्रद्धांजली भाषण में बताये।
श्रद्धांजली सभा में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय संयोजक मा. मोहम्मद अफजल, शकील हिंदुस्तानी, रा.स्व. संघ के कोकण प्रांत संघचालक डॉ. सतीश मोढ, स्व. मुजफ्फर हुसैन की कन्या सीमा सय्यद, विश्वसंवाद केंद्र संपादक प्रणव भोंदे आदि मान्यवर उपस्थित रहे।

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