जयपुर (विसंकें)। पिछले कुछ दिनों में राज्य के छोटे बड़े अनेक शहरों में सावरकर जयंती व गोष्ठी का आयोजन किया गया। राजधानी जयपुर में भी विभिन्न स्थानों पर अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये कहीं प्रभात फेरी हुई तो कहीं मानव श्रृंखला बनाई गई। कहीं विचार गोष्ठी हुई तो कहीं पुष्पांजलि के कार्यक्रम हुए जिनका आयोजन विभिन्न सामाजिक संगठनों एवं आम जनता द्वारा किया गया।
जयपुर के मालवीय नगर स्थित पाथेय कण संस्थान में गुरुवार को आयोजित गोष्ठी में मेजर जनरल आर के. कौशल व पत्रकार पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने शिरकत की।कुलश्रेष्ठ ने कहा कि सरकार को सावरकर के पत्र मीडिया के सामने रख कर उनमें लिखे तथ्यों पर बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के लिए शहादत देने वालों के प्रति राजनीति करना किसी भी प्रकार से भी ठीक नहीं है। पुष्पेंद्र ने वीर सावरकर को अभी तक भारत रत्न नहीं देने पर भी सवाल उठाए।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि रिटायर्ड मेजर जनरल आर के. कौशल. मुख्य वक्ता पत्रकार पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ तथा पाथेय कण के संस्थापक संपादक कन्हैयालाल चतुर्वेदी ने दीप प्रज्ज्वलन कर किया। इस दौरान वीर सावरकर से संबंधित फिल्म दिखाई गई।
पत्रकार पुष्पेन्द्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि 1980 में इंदिरा गांधी ने वीर सावरकर स्मारक को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने वीर सावरकर को देश की मिट्टी का सपूत तथा महान क्रान्तिकारी बताया था। साथ ही सावरकर पर 20 पैसे का टिकट भी जारी किया था। सावरकर ने लंदन में जाकर भी अंग्रेजों को चुनौती दी जिससे पूरा विश्व हतप्रभ था। उन्होंने कहा कि कश्मीर से 3.50 लाख हिन्दुओं को निकाला गया जो अब तक की सबसे बडी मॉब लिंचिंग है। अब देश में बदलाव की बयार देखने का मिल रही है। देश राष्ट्रवाद के साथ एकजुट खड़ा है। कुलश्रेष्ठ ने बताया कि हैनरी कॉलर जो कि 1904 में कांग्रेस के अध्यक्ष थे उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा कि सावरकर ने लंदन में जाकर भी अंग्रेजों को ललकारा किन्तु फिर भी वे जितने सम्मान के हकदार थे उतना सम्मान उन्हें भारत में नही मिला।
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उन्हें अंडमान की सेल्यूलर जेल में बहुत यातनाएं दी गईं। लेकिन उनके इतिहास को नकारा जा रहा है। कुलश्रेष्ठ ने कहा कि कुछ लोग इतिहास में दर्ज होते हैं वहीं कुछ दिलों में राज करते हैं, जो दिलों में राज करते हैं उन्हें इतिहास में पढ़ाया नहीं जा रहा है। सावरकर लोगों के दिलों में राज करते हैं।
कुलश्रेष्ठ ने सुभाषचन्द्र बोस, लाल बहादुर शास़्त्री तथा डा. राजेन्द्र प्रसाद के जीवन के विभिन्न प्रसंगों को भी सरकारों द्वारा छिपाये जाने पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने संविधान में सौ से अधिक संशोधन किए, वे ही वर्तमान दौर में संविधान बदलने की मंशा का आरोप लगा रहे हैं।
इसके अलावा अग्रसेन स्नातकोत्तर शिक्षा महाविद्यालय केशव विद्यापीठ जयपुर, स्वदेशी जागरण मंच जयपुर, क्रांतिवीर स्मृति संस्थान जयपुर व क्रांतिवीर स्मृति मंच सरदारशहर, क्रांतिवीर स्मृति संस्थान वैर, क्रांतिवीर स्मृति संस्थान सीकर, क्रांतिवीर स्मृति मंच नागौर, क्रांतिवीर स्मृति मंच झुन्झनु तथा राज्य के अन्य कई स्थानों पर सावरकर जयंती मनाई गई।