राम मंदिर निर्माण का रास्ता तलाशने के लिए संतों की उच्चाधिकार समिति ने दिया 31 जनवरी तक का समय

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर जारी चर्चाओं के बीच संतों की उच्चाधिकार समिति की महत्वपूर्ण बैठक शुक्रवार को दिल्ली में हुई. बैठक में शामिल संतों की समिति ने केंद्र की मोदी सरकार को चार महीने का अल्टीमेटम दिया है. संतों ने सरकार को 31 जनवरी तक राम मंदिर निर्माण के लिए रास्ता तलाशने का समय दिया है. साथ ही राम मंदिर के निर्माण को लेकर सरकार पर अध्यादेश लाने के लिए दबाव बनाने की योजना बनाई है.

बैठक में यह भी तय किया गया कि अगर सरकार तय समय तक कोई निर्णय नहीं लेती है तो नवंबर माह में सभी सांसदों से मिलकर राममंदिर निर्माण के मुद्दे को संसद में उठाने के लिए भी दबाव बनाएंगे. इसके अलावा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करने की योजना भी बनाई गई है. न्यास महंत नृत्य गोपाल दास की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में राम मंदिर मुद्दे पर भविष्य की रणनीति तय करने के लिए विश्व हिन्दू परिषद ने भी हिस्सा लिया था.

शाम को ही महंत नृत्य गोपाल दास के नेतृत्व में संतों का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी मिला. राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में कहा गया कि ‘महामहिम अपनी सरकार को कहें कि वह अब कानून बनाकर राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करे. आज की परिस्थिति में यही समाधान उपयुक्त लगता है.’

बैठक में सभी संतों ने एक स्वर में कहा कि वह जन्मभूमि पर अपने वचनानुसार संसदीय कानून बना कर राम मंदिर के मार्ग की बाधाओं को दूर करे. आवश्यकता पड़ने पर लोकसभा और राज्यसभा का संयुक्त अधिवेशन बुलाकर कानून बनाएं और जन्म भूमि हिंदुओं के हवाले करें.

शुक्रवार को संतों की बैठक के दौरान विश्व हिन्दू परिषद (VHP) ने मंदिर पर एक प्रस्ताव भी पास किया, जिसमें बहु-प्रतीक्षित राम मंदिर के निर्माण के लिए एक बिल लाने की मांग की गई है.

परमानंद महाराज ने कहा कि बिल आने पर ही मालूम चलेगा कि असली राम भक्त कौन है. डॉ. राम विलास वेदांती, चिदानंद पुरी (केरल), स्वामी चिन्मयानंद व स्वामी अखिलेश्वरानन्द सहित देश से आए गुरुओं, महामंडलेश्वरों व अन्य धर्माचार्यों ने भी कानून बनाने की मांग का समर्थन किया है. विहिप ने कहा कि अनिश्चित काल तक कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं किया जा सकता है.

बैठक में सन्तों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मन्दिर निर्माण के लिए कानून की मांग के अतिरिक्त एक विशाल जन जागरण अभियान की भी घोषणा की. इस अभियान में निम्नलिखित कार्यक्रम रहेंगे –

  1. अक्टूबर माह में राज्यश: स्थानीय राम भक्तों का प्रतिनिधि मंडल सभी राज्यों के राज्यपालों से मिल कर ज्ञापन देकर अनुरोध करेगा कि वे राम जन्म भूमि पर मंदिर के लिए संसदीय कानून बनाने की उनकी मांग को केंद्र सरकार तक पहुंचाएं.
  2. नवम्बर माह में सभी संसदीय क्षेत्रों में विशाल जन सभाएं होंगीं. वहां की जनता एक बड़े और व्यापक प्रतिनिधि मण्डल के साथ पूज्य संतों के नेतृत्व में अपने सांसदों से मिलेगी और उन्हें संसद में कानून बनाकर राम मंदिर बनाने का मार्ग प्रशस्त करने का आग्रह करेगा.
  3. 18 दिसंबर (गीता जयंती), से 26 दिसम्बर तक भारत के प्रत्येक पूजा स्थान, मठ मंदिर, आश्रम, गुरुद्वारा, स्थानक व घरों में राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के लिए स्थानीय परम्परा के अनुसार अनुष्ठान होंगे.
  4. पूज्य संतों का एक प्रतिनिधि मण्डल प्रधानमंत्री से मिलकर उन्हें करोड़ों राम भक्तों एवं साधू-संतों धर्माचार्यों की भावना से अवगत कराकर कानून बनाने का आग्रह करेंगे.

राष्ट्रपति से मिलने वाले प्रतिनिधि मण्डल में जगद्गुरु रामानन्दाचार्य श्री हंसदेवाचार्य जी महाराज, हरिद्वार, आचार्य महामण्डलेश्वर श्री स्वामी विशोकानन्द भारती जी महाराज, हरिद्वार, महामण्डलेश्वर युगपुरुष श्री स्वामी परमानन्द गिरि जी महाराज, हरिद्वार, महामण्डलेश्वर विश्वेश्वरानन्द जी महाराज, मुम्बई, अग्रदेवाचार्य श्री राघवाचार्य जी महाराज, सीकर, राजस्थान, श्री स्वामी चिन्मयानन्द सरस्वती जी महाराज, हरिद्वार, श्री स्वामी रामेश्वरदास श्रीवैष्णव जी महाराज, ऋषिकेश, स्वामी परमात्मानन्द जी महाराज, राजकोट के अलावा विश्व हिन्दू परिषद् के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार, उपाध्यक्ष चम्पतराय, जीवेश्वर मिश्र व संयुक्त महासचिव डॉ.  सुरेन्द्र कुमार जैन शामिल थे.

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