भारत की आंतरिक सुरक्षा खतरे में
विसंके जयपुर। राष्ट्र सेविका समिति का यह पूर्ण विश्वास है कि भारत बाहरी खतरों का मुकाबला करके उनको परास्त करने में सक्षम है। विश्व की सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक भारत की सेना किसी भी खतरे से भारत की सीमाओं की रक्षा कर सकती है, परन्तु भारत की आन्तरिक सुरक्षा के बारे में देश के नागरिक चिंतित है। आज देश में प्रतिदिन कोई न कोई ऐसी घटना अवश्य हो रही है जो देश की आन्तरिक सुरक्षा के प्रति खतरा बन जाती है। जेहादी, माओवादी, प्रेरित आतंकवादी काफी समय से राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलग्न है। दुर्भाग्य से अब बौद्धिक आतंकवादियों के संरक्षण में न केवल इनकी गतिविधियां बढ़ रही हैं, अपितु ये सब मिलकर एक राष्ट्रघाती माफिया के रूप में काम कर रहे है।
भारत में जेहादी आतंकवाद का दुष्परिणाम भारत के विभाजन के रूप में भोगा जा चुका है। स्वतन्त्र भारत में कश्मीर से प्रारम्भ हुए आतंकवाद ने सम्पूर्ण देश को अपनी चपेट में ले लिया है। आतंकवाद के इस प्रारूप में बम विस्फोट व हिन्दुओं के नरसंहार सम्मिलित है। इस पर नियंत्रण के बावजूद जेहादी आतंकवाद की विभीषिका कम नहीं हुई है। कश्मीर घाटी में भारतीय सेना व सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी व पीट-पीट कर मारना आम बात बनती जा रही है।बंगाल में हिन्दू मन्दिरों पर हमले करके उत्सवों को न होने देना, मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में हिन्दुओं पर हमले, लव जेहाद, निर्बाध जनसंख्या वृद्धि, गौ हत्याएं और बंग्लादेशी व रोहिंग्या (बर्मा) के मुसलमानों की भारत में घुसपैठ देश को दारुल इस्लाम बनाने की दिशा में नियोजित षड्यंत्र के विभिन्न कार्यभाग है। किसी भी बहाने से मुस्लिम समाज के उग्र प्रदर्शन अब प्रतिदिन का विषय बन चुके है। इन प्रदर्शनों में हिन्दुओं व सुरक्षा बलों पर हमला करना, पाकिस्तान के झण्डे फहराना, ये जेहादी तत्व सामूहिक आक्रमण या उग्र प्रदर्शनों द्वारा ज्यादा प्रभावी रूप से कर रहे है। अत्याचारी होकर भी अपने को पीड़ित दिखाने का प्रयास किया करते हैं, जिसमें कुछ स्वार्थी तत्व इनके सहयोगी बन जाते है। इस आक्रामकता के कारण मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से हिन्दुओं का पलायन होता रहता है।
आज माओवादी आतंकवाद जेहादी आतंकवाद से भी बड़ा बन चुका है। देश के 22 राज्य इसकी चपेट में आ चुके है। अपने प्रभाव क्षेत्रों में ये किसी भी प्रकार का विकास कार्य नहीं होने देते।वनवासी, दलित व गरीब लोगों का आर्थिक शोषण करने के साथ-साथ उनकी कन्याओं का यौन शोषण करना इनके लिए आम बात हो गई है। भारत के प्रति घृणा और सरकारों के प्रति विद्रोह भावना भड़का कर ये युवकों को भ्रमित करते है। माओवादी वामपंथी विचारधारा से प्रेरित हैं जो मूल रूप से हिंसक व राष्ट्रद्रोही है। पुलिस व सुरक्षाबलों पर घात लगाकर ये हमला करते है और जिस बर्बरता के साथ ये उनके अंग भंग करते हैं, वह उनकी पैशाचिक विचारधारा का परिचायक है। भारत के पूर्वोत्तर में कई आतंकवादी संगठन चर्च से प्रेरणा व सहयोग प्राप्त करके ही चलते है। चर्च इन सबके मन में भारत से अलगाव के बीज बोकर उन्हें देशविरोधी कृत्यों के लिए प्रेरित करता है। वहां के कई चर्चों से हथियार व विस्फोटक मिल चुके है। त्रिपुरा सरकार ने चर्च की इन गतिविधियों के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार को पत्र भी लिखा था। धर्मांतरण व अन्य राष्ट्र विरोधी कृत्यों पर रोक लगाने वाले संतों व संगठनों पर चर्च आक्रमण करता रहता है। इस प्रयास में वे सम्पूर्ण विश्व में भारत को बदनाम करने का राष्ट्र विरोधी काम भी करते रहते है।
आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बनी उपरोक्त शक्तियों को तार्किक आधार व वैचारिक आवरण प्रदान करने वाले छद्म सेक्यूलरवादी राजनीतिक दल पत्रकार व बुद्धिजीवी, इन आतंकवादियों से भी अधिक खतरनाक बन चुके है। इनको बौद्धिक आतंकवादी कहा जा सकता है। ये लोग आतंकवादियों, देशद्रोहियों, पत्थरबाजों व समाज को तोड़ने वालों के साथ हमेशा खड़े रहते है। हिन्दुओं व सुरक्षाबलों की निर्मम हत्याओं पर इनको सांप सूंघ जाता है, परन्तु एक भी कथित अल्पसंख्यक की मृत्यु पर अवार्ड वापसी की होड़ लग जाती है। इनके लिए आतंकवादियों के ही मानवाधिकार होते हैं, हिन्दू समाज व सुरक्षाबलों के लिए नहीं। ये दलित-सवर्ण, बहुसंख्यक-अल्पसंख्यक, उत्तर-दक्षिण आदि भेदों को निर्माण कर देश को बांटने का षड्यंत्र करते रहते है। अगर हिन्दू संगठन लव जेहाद, गौहत्या, अवैध धर्मांतरण, सन्तों, देवी देवताओं का अपमान व राष्ट्र विरोधी कृत्यों का प्रतिकार करते है तो ये एकजुट होकर हिन्दुओं पर हमला बोलते है।किसी भी हिन्दूनिष्ठ राजनीतिक दल की सरकार आने पर इनके हमलों की प्रबलता अधिक बढ़ जाती है। ये लोग समाज व देश को तोड़ने की दिशा में बढ़ते हुए तनिक भी संकोच नहीं करते।अब ये समस्त राष्ट्र विरोधियों को एकजुट कर सरकार, सेना व समाज पर निरन्तर आक्रमण कर रहे है।
राष्ट्र सेविका समिति देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा निर्माण करने वाले इन सभी तत्वों की गतिविधियों पर चिंता व्यक्त करती है। यह भारत के समस्त राष्ट्र भक्त समाज से आह्वान करती है कि इनकी चुनौती का जवाब देने के लिए सबको तत्पर रहना चाहिए। समाज व देश को तोड़ने के लिए ये शक्तियां मीडिया के एक वर्ग और सोशल मीडिया का उपयोग करके कई प्रकार के भ्रम निर्माण करती है। समाज के कुछ वर्गो में ये दुष्प्रचार कर अलगाव के भाव भी निर्माण करती है। हमें इनके प्रचार पर विश्वास न करके इनके षड्यंत्रों को प्रबलता के साथ उजागर करना चाहिए। भारत की केन्द्र सरकार द्वारा इन तत्वों पर अंकुश लगाने के प्रयास हो रहे है। अब आवश्यकता है कि समाज को साथ लेकर अधिक प्रखरता के साथ इन राष्ट्र विरोधी तत्वों का क्षमन किया जाए, जिससे राष्ट्र की अखण्डता को अक्षुण्ण बनाया जा सके।
समिति कार्य का प्रवाह अधिकाधिक शक्तिशाली बनाते हुए आगे लेकर जाने का संदेश शांतक्काजी (वं. प्रमुख संचालिका राष्ट्र सेविका समिति) ने दिया। वह राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय कार्यकारिणी एवं प्रतिनिधि मंडल की तीन दिवसीय बैठक के समारोप सत्र में बोल रही थी। बैठक नागपुर के धंतोली स्थित देवी अहिल्या मंदिर में संपन्न हुई। शांतक्काजी ने कहा कि हमारा जीवन एक अक्षय पात्र बने, जिससे हम निरंतर समाज उपयोगी कार्यों में अपनी विविध क्षमताओं का उपयोग करें। राष्ट्र सेविका समिति की आद्य प्रमुख संचालिका एवं संस्थापिका वं. मौसीजी केलकर का आज (03 जुलाई) जन्मदिन है। जो संकल्प दिवस के रूप में समिति शाखाओं पर मनाया जाता है। इस पार्श्वभूमि पर शांतक्काजी ने कहा कि जिस प्रकार वं. मौसीजी ने आत्म संतुष्टी की खोज की। उसी प्रकार महिलाओं को समिति विचार को आत्मसात कर आत्म संतुष्टी की खोज करनी चाहिये। तीन दिवसीय बैठक में देश के विविध राज्यों से आयी हुई सेविकाओं ने वृत्त कथन किया। तथा महिलाओं की सद्यपरिस्थिति के बारे में विचार विमर्श किया। साथ में देश की आंतरिक सुरक्षा के बारे में चिंतन और चर्चा कर एक प्रस्ताव भी पारित किया।
(आभार विसंके नागपुर)