विद्या के बगैर मानव की मुक्ति नहीं : डॉ. भागवत

DSC_0217DSC_0219सरस्वती शिक्षा संस्थान के रजत जयंती समारोह में बोले आरएसएस के सरसंघचालक,

रायपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. श्री मोहन भागवत जी ने कहा है कि विद्या के बगैर मानव की मुक्ति नही हो सकती। पेट भरने वाली शिक्षा के बजाय युवाओं में कर्तव्यबोध और जिम्मेदारी के साथ काम करने का बोध जगाने वाली शिक्षा की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश-निर्माण के लिए जिस संस्कारित पीढ़ी की जरूरत है, सरस्वती शिशु मंदिर जैसे शैक्षणिक संस्थान उसके प्रमुख केन्द्र साबित हुए हैं।

श्री भागवत, आज राजधानी के बूढ़ापारा में स्थित छत्रपति शिवाजी आउटडोर स्टेडियम में उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। वे यहां सरस्वती शिक्षा संस्थान के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होने आए थे। प्रदेश भर से आए हजारों स्कूली भैया-बहिनों, आचार्यों तथा पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि शहरों के अलावा ग्रामीण और वनवासी इलाकों में भी विद्या भारती के स्कूल संचालित हो रहे हैं, जो बच्चों को संस्कारयुक्त शिक्षा प्रदान कर रहे हैं लेकिन हमारा काम यही नहीं रूकना चाहिए क्योंकि जो समाज में परिणामदायी कार्य करते हैं, उनसे समाज की अपेक्षा बढ़ जाती है इसलिए विद्या भारती को ज्यादा बड़े लक्ष्य के साथ समाज निर्माण में योगदान देना होगा।

मालूम होवे कि सरस्वती शिक्षा संस्थान के मार्गदर्शन में शिशु मंदिरों सहित 12 हजार से अधिक विद्यालय छत्तीसगढ़ में संचालित किये जा रहे हैं। सरसंघचालक डॉ. श्री मोहन भागवत जी ने आगे कहा कि विद्या के बगैर मानव की मुक्ति नही हो सकती तथा देश के उत्तरोत्तर विकास के लिए जिस संस्कारयुक्त पीढ़ी की जरूरत है, उसकी पूर्ति वर्तमान शिक्षा प्रणाली से नही हो पा रही है इसलिए विद्या भारती या सरस्वती शिशु मंदिरों के प्रति समाज की अपेक्षा बढ़ती जा रही है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त की कि जब भी बोर्ड परीक्षा के परिणाम आते हैं, शिशु मंदिरों के छात्र प्रावीण्य सूची में जगह पाते हैं।

छत्तीसगढ़ औद्योगिक विकास निगम के अध्यक्ष श्री छगन मुंदड़ा ने  कहा कि भारतीय शिक्षा पद्धति के माध्यम से सरस्वती शिशु मंदिरों ने लाखों विद्यार्थियों को तराशा है जो राष्ट्र निर्माण में अपनी महती भूमिका अदा कर रहे हैं। आज की महंगी शिक्षा और पब्लिक स्कूलों के बढ़ते क्रेज के बीच सरस्वती शिशु मंदिर सर्वश्रेष्ठ विकल्प के तौर पर मौजूद है। इस अवसर पर भैया-बहिनों ने व्यायाम, सामूहिक गीत, घोष दल और सामूहिक नृत्य का प्रदर्शन किया।

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