विश्व पुस्तक दिवस पर परिचर्चा आयोजित

23 अप्रैल 2020।
विश्व संवाद केंद्र द्वारा वीडियो कांफ्रेन्स पर ‘पुस्तक के महत्व’ विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। उक्त परिचर्चा में बताया गया कि पुस्तकों का ज्ञान संवर्धन में क्या योगदान है तथा समाज में पठन-पाठन की स्वभाव के विकास के लिए तथा समुचित पुस्तक के चयन के विषय में किस प्रकार प्रयास होने चाहिए। परिचर्चा मूलत: पुस्तक के महत्व पर केंद्रित रही जो वर्तमान में लॉक डाउन के काल में समस्त समाज के एकांतवास का महत्वपूर्ण साधन रही तथा एक परम मित्र दार्शनिक और मार्गदर्शक के रूप में जन जन के ज्ञान व मनोरंजन का भी समावेश किया।

श्री कौशल अरोड़ा जी ने लोक भारती प्रकाशन द्वारा भारतीय ज्ञान, आद्यात्म व भारत की विवेकशीलता की अभिव्यक्ति पर फ्रांसीसी लेखक व नाटककार श्री रोमा रोलां द्वारा स्वामी विवेकानंद की जीवनी पर लिखी पुस्तक पर परिचर्चा में बताया कि स्वामी विवेकानंद द्वारा दिए गए आदर्शों को एक विदेशी महिला ने स्वीकार करते हुए उसके प्रचार-प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।पुस्तके व्यक्ति के अनुभव का निर्माण करने के साथ-साथ व्यक्ति के अनुभव से निर्मित भी होती हैं तथा व्यक्ति अपने पुस्तक ज्ञान से प्राप्त अनुभव को सही दिशा में कार्यान्वित करने व कराने तथा नीति निर्माण में अपना योगदान दे सकता है ।

श्री उमेश गुप्ता ने पुस्तकों के सही चयन और सही प्रयोग का आह्वान करते हुए बताया कि किस प्रकार गूगल शिक्षा से ज्ञान का वितरण हुआ है जिसे मात्र सद् साहित्य के उपयोग को प्रोत्साहित करके ही दूर किया जा सकता है ।

वर्तमान युवा वर्ग में पठन-पाठन की प्रवृत्ति पुस्तकों की अपेक्षा डिजिटल स्त्रोतों की तरफ बड़ी है जो विकृत वामपंथ रूपी मार्ग की ओर ले जाती है साथ ही सही और गलत साहित्य के चयन की समझ भी क्षीण करती है।

एक अन्य पुस्तक ‘Rebuild India’ समीक्षा सुश्री प्रीति शर्मा द्वारा की । यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के संपूर्ण वांग्मय के 9 अंकों में बेलूर मठ द्वारा प्रकाशित हुई है। जिसमें भारत का मूल गांव में निवास है जो कि व्यक्ति को अपने आधार से जोड़ कर रखता है । भारत ने एक महान राष्ट्रीय अपराध किया कि भारतीय ग्रामीण संस्कृति को विस्मृत करते हुए पाश्चात्य संस्कृति को बिना सोचे समझे अपनाया जो देश के पतन का मूल कारण है इससे सुरक्षा हेतु जनमानस को अपनी संस्कृति की रक्षा करते हुए भारत का भविष्य गतिमान करने के लिए कटिबद्ध रहना होगा। श्री मनोज ने बालकों में पुस्तक पठन-पाठन की प्रवृत्ति को मजबूत बनाने के लिए आग्रह किया जिससे देश का भविष्य स्वतः ही सुरक्षित हो जाएगा साथ ही उन्होंने कुछ बाल साहित्य स्त्रोतों से भी अवगत करवाया।

कार्यक्रम के समापन में श्री कौशल अरोड़ा ने विषयक सारांश में वैचारिक जगत में रुचि रखने वालों के लिये इस संक्रमण काल का सदुयोग सद-साहित्य पढ़कर अपने शरीर, मस्तिष्क व बौद्धिक क्षमता को विकसित कर किया जा सकता है, निमित्त सुझाव रखा ।

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