शुक्ल प्रतिपदा को चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रमणकारी
ताकतों को हराकर चलाया था विक्रमी संवत् : संजीवन कुमार जी
जयपुर (वि.सं.कें.)। हिमाचल प्रांत प्रचारक संजीवन कुमार ने कहा कि शुक्ल प्रतिपदा को चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रमणकारी ताकतों को हराकर विक्रमी संवत् चलाया, जो कि आज सांस्कृतिक परम्परा के गौरवपूर्ण पड़ावों को पार करते हुए 2075 नववर्ष का स्वागत कर रहा है। हिमाचल कला संस्कृति और भाषा अकादमी, ठाकुर जगदेव चंद शोध संस्थान नेरी एवं संस्कार भारती के संयुक्त तत्वाधान में गयेटी थियेटर शिमला में नववर्ष परम्परा समारोह का आयोजन किया। इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रदेश के राज्यपाल आचार्य देवव्रत रहे, जबकि विशिष्ठ अतिथि के रूप में प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर वहीं मुख्यवक्ता प्रांत प्रचारक संजीवन कुमार रहे। कार्यक्रम के मुख्यवक्ता संजीवन कुमार ने देशभर में चैत्र प्रतिपदा के सांस्कृतिक महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि इस वर्ष से 1 अरब 97 करोड़, 39 लाख, 49 हजार 115 वर्ष पहले वर्ष प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का सृजन किया था। इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत् प्रारंभ किया, शालिवाहन ने शालिवाहन संवत्सर प्रारंभ किया, स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना की, सिंध प्रांत में प्रसिद्ध झूलेलाल प्रकट हुए, युधिष्ठिर राज्याभिषेक पर युगाब्द संवत्सर का प्रारंभ हुआ। भारतीय जीवन शैली में प्रातः काल सबसे पहले और शयन से पहले लिया जाने वाला नाम राम का है जिनका राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराम बलिराम हेडगेवार का जन्म भी इसी दिन हुआ। भारतीय समाज में यह माना जाता है कि जीवों में जीवनी शक्ति का उद्भव नवरात्रों के अवसर पर होता है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि भारतीय नववर्ष परम्परा का परिगणन सौर मंडल की गति के अनुसार होती है। भारतीय ज्योतिष में कालगणना वैज्ञानिक आधार पर की जाती है जिससे संपूर्ण ब्रह्माण के ग्रहों उपग्रहों की संरचना गति भ्रमण तथा आकर्षण आदि की वैज्ञानिक रीति से व्यवस्था हुई। उन्होंने बताया कि भारत का इतिहास दो अरब साल पुराना है और आयुर्वेद भारत ऋषियों की ही देन है। पूर्वजों ने भारतीय वनस्पति के बारे में जो शोध प्राचीन काल में किये थे वही आधुनिक लैब में आजमाकर देखे गए जो शत प्रतिशत सही हुए हैं। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि प्राचीन भारतीय संस्कृति में समृद्ध सांस्कृतिक मूल्यों को सुरक्षित तथा संजोए रखना महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री आज यहां ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में हिमाचल प्रदेश कला, संस्कृति एवं भाषा एकादमी, ठाकुर जगदेव चन्द अनुसंधान संस्थान, नेरी मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी संस्कृति बहुत समृद्ध और विविध है, जो हमेशा मिलजुल कर रहने का सन्देश देती है। हमें अपने सांस्कृतिक मूल्यों पर गर्व होना चाहिए और सभी को इसके प्रोत्साहन के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि केवल वहीं सभ्यताएं उन्नति करती हैं, जिनमें अपनी संस्कृति व परम्पराओं के लिए आदर एवं स्नेह होता है। हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है क्योंकि यहां के लोग शान्तिप्रिय हैं और अपनी परम्पराओं का बहुत सम्मान करते हैं। जय राम ठाकुर ने भारतीय नववर्ष के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए उनकी खुशहाल जीवन की कामना की।
इतिहास दिवाकर विशेषांक का विमोचन
इस अवसर पर डॉ0 विद्याचंद की जीवन शैली पर आधारित विशेषांक इतिहास दिवाकर का भी विमोचन किया गया। इसके साथ ही कुल्लु के गीतों पर आधारित सीडी का भी मुख्यमंत्री ने विमोचन किया। इस मौके पर भाषा और संस्कृति विभाग की सचिव डॉ0 पूर्णिमा चौहान, महापौर कुसुम सदरेट, उपमहापौर राकेश कुमार शर्मा, सह संचालक राजकुमार सहित अनेक गणमान्य लोग कार्यक्रम में उपस्थित रहे। इस अवसर पर कार्यक्रम के पश्चात रिज मैदान पर दीपों को प्रज्जवलित किया गया। रिज पर रंगोली भी सजायी गयी थी जिसे भव्यता से दीपों को जलाया गया।