जयपुर (विसंकें)। कर्नाटक के तुमकुरू स्थित सिद्धगंगा मठ के प्रमुख शिवकुमार स्वामीजी का सोमवार को 111 साल की उम्र में निधन हो गया। कल उनका अंतिम संस्कार किया गया। वे श्रद्धालुओं और भक्तों के बीच चलते-फिरते ईश्वर के तौर पर मशहूर थे। उनके अनुयायी उन्हें 12वीं शताब्दी के समाज सुधारक बसावा का अवतार मानते थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में बुहत काम किया। वे सिद्धगंगा एजुकेशन सोसाइटी के प्रमुख थे। उन्होंने राज्य के लगभग 125 शैक्षणिक संस्थानों, इंजिनियरिंग कॉलेजों और बिजनेस स्कूलों का संचालन किया। वे लिंगायत समुदाय के 300 साल पुराने सिद्धगंगा मठ के प्रमुख संत थे। 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म भूषण सम्मान से नवाजा था। वहीं उनके 100वें जन्मदिन के अवसर पर उन्हें 2007 की तत्कालीन सरकार ने कर्नाटक रत्न से सम्मानित किया था। वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
पित्ताशय और यकृत की बाईपास सर्जरी
गौरतलब है कि पिछले महीने चेन्नई के एक निजी अस्पताल में स्वामी जी के पित्ताशय और यकृत की बाईपास सर्जरी की गई। बाद में उनको बेंगलुरु लाया गया था। वहां से उन्हें तुमकुरु के सिद्धगंगा मठ के अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
स्वामी का पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया. पहले शाम साढ़े चार बजे अंतिम संस्कार होना था लेकिन अंतिम दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की ऐसी भीड़ उमड़ी कि क़रीब घंटे भर बाद ही यात्रा शुरू हो सकी।
पूज्य डॉ. श्री श्री शिवकुमार महास्वामी जी के महाप्रयाण से लाखों लाखों भक्तों के लिये जैसे सिर पर से वरिष्ठ का वरद हस्त उठ गया है। महान समाजसेवी, आध्यात्मिक मार्गदर्शक, पूज्य महास्वामी जी के चरणों में शत शत नमन।