राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भारत को धर्म का अधिष्ठान है. यह देश भविष्य में विश्व शक्ति बनेगा. विश्व में अनेक राष्ट्र आए और गए. परंतु, भारत जैसा था, वैसा ही है. भारत का यह सनातन धर्म है, जिसे हिन्दुत्व कहा जाता है. हम भारत-भू की छाया में पले-बड़े हुए हैं. हमें जगविजेता सिकंदर या चंगेज़ खान नहीं बनना है. बल्कि विश्व को प्रकाश देने वाला आदर्श बनना है. यह बात समझने के लिये एकनाथ जी की यह पुस्तक आदर्श है. इस पुस्तक के मार्गदर्शन पर कार्य किया जाए तो कार्य निश्चित ही सार्थक होगा.
विवेकानंद केंद्र के संस्थापक स्व. एकनाथ जी रानडे जी द्वारा कार्यकर्ताओं को दिये बौद्धिकों का संकलित स्वरूप सेवा समर्पण पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है. पुस्तक के लोकार्पण समारोह में सरसंघचालक जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे. विवेकानंद केंद्र के महासचिव भानुदास जी धाक्रस समारोह में विशेष रूप से उपस्थित रहे.
सरसंघचालक जी ने कहा कि सामाजिक, राजकीय एवं वैयक्तिक सर्व स्तरों पर यह पुस्तक उपयुक्त है. इसमें केवल बौद्धिक विकास नहीं, बल्कि प्रचिति के अनुभव हैं. जीवन व्यतीत करके दिखाने वाला ये वह मार्ग है, जिस पर चलकर अनेक कार्यकर्ता तैयार हो रहे है. यह पुस्तक विज्ञान की कसौटी पर उतर आया है. उन्होंने उपस्थित जनों से पुस्तक का प्रचार प्रसार करने का आह्वान किया.