जब देश की बात हो, तो सभी का स्वर एक ही होना चाहिए – इंद्रेश कुमार जी

रांची (विसंकें). फोरम फॉर अवेयरनेस ऑफ नेशनल सेक्योरिटी (फैंस) के मुख्य संरक्षक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी thके सदस्य इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि देश की एकता और अखंडता के मुद्दों पर राजनीतिक दलों को एक सुर में बात करनी चाहिए. तीन तलाक का विरोध और सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों को भटका हुआ बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर सांप्रदायिक राजनीति का गंदा खेल देश के भविष्य के लिए अच्छा नहीं है.

इंद्रेश कुमार जी फैंस द्वारा एक देश एक स्वर विषय पर आयोजित एक गोष्ठी में बुधवार को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में हिंदुस्तान एकमात्र विविधताओं वाला देश है. ईरान और इंडोनेशिया का उदाहरण देते हुए कहा कि सऊदी अरब द्वारा शिया मुसलमानों पर सवाल उठाने के विरोध में इस वर्ष ईरान ने हज तक का बहिष्कार कर दिया, क्योंकि मामला उनके देश और देशभक्ति से जुड़ा था. दूसरी तरफ दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया की राष्ट्रीय विमानन कंपनी का नाम गरुड़ एयरवेज है और वहां के सबसे बड़े एयरपोर्ट पर हिंदू ग्रंथों की घटनाओं की बड़ी-बड़ी पेंटिंग्स हैं. लेकिन इससे उस देश को कोई खतरा नहीं है, बल्कि वे इसे अपने अतीत से जोड़कर देखते हैं. हमें भी अपने अतीत पर गर्व होना चाहिए.

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को आड़े हाथों लेते हुए इंद्रेश कुमार जी ने कहा कि सन् 1972 से पहले इस संस्था का कोई अस्तित्व नहीं था. आज भी यह महज 18-20 फीसदी मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करती है. लेकिन इसकी वजह से मुस्लिमों की आधी आबादी (महिलाएं) न्याय और सुधार से वंचित हैं. तीन तलाक का मामला भाजपा, आरएसएस या सरकार ने नहीं उठाया, बल्कि मुस्लिम महिलाएं ही इसे लेकर सर्वोच्च अदालत पहुंची हैं.

इंद्रेश कुमार जी ने इस बार दीवाली पर चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने का भी आह्वान किया.

कार्यक्रम में द पायोनियर के एमडी पवन बजाज, रांची केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति नंद कुमार यादव इंदु, प्रभात खबर के वरिष्ठ संपादक अनुज कुमार सिन्हा, छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सलीम अशरफी, फैंस के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री गोलक बिहारी व झारखंड उपाध्यक्ष डॉ. शाहिद अख्तर के अलावा पूर्व मुख्य सचिव शिब बसंत और प्रोफेसर संदीप कुमार सहित झारखंड के सम्मानित अतिथिगण मौजूद थे.

पवन बजाज जी ने कहा कि कई लोगों ने एक देश एक स्वर का गलत अर्थ लगाया है. देश किसी सीमा रेखा के अंदर भौगोलिक स्थिति का नाम नहीं है. देश उसके नागरिकों, उनकी संस्कृति, उनके धर्म, विचारों और आहार-व्यवहार के सम्मिलन का नाम है. जैसे भारत का झंडा, राष्ट्रगान, राष्ट्रीय गीत, पक्षी, संविधान ये सब एक हैं, वैसे ही राष्ट्रीय पहचान के मामलों में हमारा स्वर भी एक ही होना चाहिए.

अनुज सिन्हा ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि सन् 1971 में बांग्लादेश के अलग होते वक्त भाजपा अस्तित्व में भी नहीं थी. लेकिन एक विपक्षी दल (जनसंघ) में होते हुए भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का खुला समर्थन किया था और उन्हें दुर्गा कहा था. उन्होंने कहा कि हमें राष्ट्रहित के मसलों पर एक होना ही होगा, तभी हमारा अस्तित्व सुरक्षित रहेगा.

सलीम अशरफी ने आतंकियों और कठमुल्लाओं को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि खैरात से उपजा और विभाजन के वक्त चंद राजनेताओं की गलतियों से पैदा हुआ पाकिस्तान, आज पूरी दुनिया के लिए आतंक का पर्याय बन गया है. मैं नहीं मानता कि ये वही मुसलमान हैं जो कुरान और इस्लाम को मानते हैं. सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने वालों और देश के अंदर नफरत फैलाने वालों के बारे में अशरफी ने कहा कि कुछ लोग गलत काम करते वक्त भूल जाते हैं कि यह मानवता के लिए अपराध होगा.

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नंद कुमार यादव जी ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसे भावुक लोगों वाला देश है, जहां लोग भावनात्मक मुद्दों पर मरने-मारने पर उतारू हो जाते हैं, लेकिन देशहित के मुद्दे पर एक नहीं होते. मुस्लिम महिलाओं को और अधिकार मिलने की वकालत करते हुए कहा कि आज यह पूरी दुनिया के लिए सर्वमान्य मसला है.

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