दुनिया के बाइस देशों में राष्ट्र सेविका समिति का काम

—राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना के 80 साल
विसंकेजयपुर
नई दिल्ली, 9 नवम्बर। राष्ट्र सेविका समिति की तीन दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकर्ता प्रेरणा शिविर-2016 के संबंध में जानकारी देने हेतु आयोजित प्रेस वार्ता में समिति की अखिल भारतीय महासचिunnamed-1व माननीया सीता अन्नदानम् जी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ठ्र सेविका समिति ने इस वर्ष विजयदशमी पर अपनी स्थापना के 80 वर्ष पूर्ण किए हैं। स्वर्गीय लक्ष्मी बाई जी केलकर ने “माता भूमि पुत्रो अहं पृथिव्यां” की अवधारणा पर समिति की नींव रखी थी। उनका मानना था कि भारत देश की शक्ति उसकी संतानों में निहित है विशेषकर महिलाओं में। चूंकि, महिलाएं शक्ति की अनंत पुंज हैं और परिवार की धुरी हैं। महिला परिवार की केंद्र बिंदु हैं वो सृजन, पोषण, संवर्धन और संस्कारण करती हैं। उनका मानना था कि महिलाएं देश की आधार शक्ति हैं, उनकी शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करके एक सुदृढ़ राष्ट्र निर्माण की दिशा में काम किया जा सकता है। अपनी अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए उन्होनें 1936 में विजययादशमी के दिन राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना की। जो नन्हा पौधा उन्होंने रोपा वो आज एक विशाल वृक्ष बन चुका है। जिसकी शाखाएं पूरे भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी फैली हुई हैं। भारत के 2380 शहरों, कस्बों और गांवों में समिति की 2784 शाखाएं चल रही हैं। दुनिया के 22 देशों में समिति की सशक्त उपस्थिति दर्ज हो चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि शाखाओं के माध्यम से सेविकाएं समाज और देश के समग्र विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। समय-समय पर राष्ट्रीय समस्याओं, देश हित, समाज हित से जुड़े विषयों पर राष्ट्र सेविका समिति जिला राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर सेमिनार, सम्मेलन, परिचर्चाओं और जागरण यात्राओं का आयोजन करती है। इनमें कुछ प्रमुख विषय रहे – जम्मू कश्मीर घाटी मंप आतंकवाद और हिंदुओं का पलायन, पूर्वोत्तर भारत में जनजातीय संघर्ष, नक्सली हिंसा। भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय, पंजाब में खालिस्तान समस्या के समय भी समिति ने महत्वपूर्ण तरीके से भूमिका निभाई थी। समस्याओं को सुलाझाने में सकारात्मक योगदान दिया है।
आगे कहा कि राष्ट्र सेविका समिति बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक धरातल पर 80 वर्ष से काम कर ही रही है और समाज सेवा के कार्यों में भी पीछे नहीं हैं। देश भर में समिति के 52 सेवा संस्थान चल रहे हैं। जिनमें अनेक ट्रस्टों के माध्यम से शिक्षा, चिकित्सा, स्वावलंबन और घरेलु उद्योगों के क्षेत्र में काम किया जा रहा है। वनवासी और दुर्गम क्षेत्रों की बच्चियों और महिलाओं को संरक्षण और शिक्षा दे कर आत्म निर्भर बनाया जा रहा है। देश भर के गरीब, पिछड़े इलाकों की लड़कियों के लिए देश भर में 22 छात्रावास चलाए जा रहे हैं। जिनमें उनके आवास भोजन शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण की मुफ्त व्यवस्था की गयी है। इन छात्रावासों में आतंकवाद और नक्सवाद से प्रभावित परिवारों की लड़कियों को विशेष रूप से ला कर रखा जाता है। उन्हें मूलभूत सुविधाओं के साथ घर जैसा प्यार भरा वातावरण दिया जाता है। सुनामी की चपेट में आए परिवारों की अनाथ बच्चियों को तमिलनाडु के एक छात्रावास में रखा गया। वो आज अपना दुख भूल कर सामान्य जीवन जी रही हैं। (समिति के प्रमुख सेवा संस्थानों का ब्योरा संलग्न है) प्राकृतिक आपदाओं के समय समिति ने भरपूर मदद और सहयोग दिया और आपदा के बाद पीडितों को नए सिरे से जीवन शुरू करने में हर संभव सहायता की। लातूर और गुजरात का भीषण भूकंप, ओडिशा के भीषण तूफान और उत्तराखंड में जल प्रलय के समय समिति की सेविकाओं ने दिन-रात पीडितों के लिए काम किया और सेवा शिविर लगाए।
आगे कहा कि देश के दूर-दराज और दुर्गम इलाकों में समिति चिकित्सा शिविर चलाती है और आरोग्य सेविकाओं यानि नर्स की व्यवस्था करती है। ये शिविर अरूणाचल प्रदेश, नागालैंड और त्रिपुरा के दुर्गम इलाकों में भी चलाए जा रहे हैं।
आगे कहा कि पिछले 80 वर्ष से समिति बिना किसी प्रचार-प्रसार के मीडिया की सुर्खियों से दूर समाज और देश के समग्र विकास में रचनात्मक सहयोग दे रही है। समिति की समर्पित और निस्वार्थ सेविकाएं, प्रचारिकाएं और पदाधिकारी दिन-रात उस सपने को साकार करने में लगी रहती हैं, जो 80 वर्ष पहले स्वर्गीय लक्ष्मी बाई केलकर ने देखा था। ( समिति की राष्ट्रीय पदाधिकारियों का परिचय भी संलग्न है ) ।
आगे कहा कि समिति हर वर्ष अपना एक विशेष लक्ष्य लेकर चलती है – इस वर्ष स्थापना के 80 वर्ष पूरे किए हैं, तो कदम-कदम बढ़ाए जा, साधना की राह पर लक्ष्य ले कर चल रही है।
उन्होंने बताया कि 2015 में तरूणी यानि युवतियों पर फोकस रखा गया और देश भर में 291 तरूणी सम्मेलन किए गए। जिनमें लगभग 88,343 युवतियों ने हिस्सा लिया।
उन्होंने आगे बताया कि 2014 में विवाहित युवा गृहणियां समिति का मुख्य एजेंडा थीं। अनुभवी गृहस्थ महिलाओं ने युवा गृहणियों से अपने अनुभव साझे किए। हर इलाके के घरों में महिला सभाएं रखी गयीं। जिनमें परिवार देश और समाज के मिर्माण में महिलाओं की भूमिका के बारे में रचनात्मक चर्चाएं और गोष्ठियां की गयीं।
उन्होंने बताया कि 2013 में टीन एजर्स पर विशेष ध्यान दिया गया। क्योंकि यही वो उम्र है जब मन और मस्तिष्क को अच्छी दिशा दी जा सकती है। देश भर में 1860 किशोरी शिविर लगाए गए जिनमें दो लाख से ज्यादा किशोरियों ने भाग लिया। इसी वर्ष स्वामी विवेकानंद की 150 जयंती के अवसर पर देश भर में 168 सेमिनार आयोजित किए गए।
उन्होंने बताया कि राष्ट्र सेविका समिति अपनी संस्थापिका वंदनीय लक्ष्मीबाई कलाकार जी की इस मान्यता पर दृढ़ता से विश्वास विश्वास रखती है कि – नारी राष्ट्र की आधार शक्ति है। नारी परिवार की केंद्र बिंदु है, नारी अपनी अद्भुत शक्तियों, क्षमताओं और कोमल गुणों से परिवार, समाज और देश को आगे ले जा सकती है। समिति परिवार को महत्वपूर्ण इकाई मानते हुए पारिवारिक मूल्यों पर विशेष बल देती है और आज दुनिया भर में जिस तरह से परिवार की भूमिका फिर से महत्वपूर्ण मानी जाने लगी है, उसमें भारतीय पारिवारिक मूल्यों को आदर्श माना जा रहा है।
प्रेस वार्ता के दौरान माननीया सीता अन्नदानम् जी के साथ समिति की अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख माननीया श्रीमति सुनीला सोवनी जी भी मौजूद थीं।

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