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आगरा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प.पू.सरसंघचालक डॉ.मोहनराव जी भागवत ने कहा कि सभी संगठन स्वतन्त्र, स्वायत्त, स्वावलम्बी हैं। सभी के कार्यक्षेत्र, कार्य पद्धति, कार्यकर्ता भिन्न–भिन्न हैं फिर भी सभी राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति के लिये काम करते हैं। वे संघ तथा संघ के सम – विचार संगठनों के स्वयंसेवक कार्यकर्ताओं की एक दिवसीय समन्वय बैठक में बोल रहे थे। समन्वय बैठक में पश्चिम उत्तर प्रदेश (ब्रज और मेरठ प्रान्त) तथा उत्तराखण्ड के कार्यकर्ता सम्मिलित हुए।
स्वयंसेवक भाव की व्याख्या करते हुए भागवत जी ने कहा कि कहा कि संघ की प्रतिज्ञा और प्रार्थना में व्यक्त भाव ही स्वयंसेवक भाव है। स्वयंसेवक प्रतिज्ञा करते हैं कि वे प्रमाणिकता, निस्वार्थ बुद्धि और तन-मन-धन पूर्वक राष्ट्र की सर्वांगीण उन्नति हेतु आजन्म कार्य करेंगे। संघ की प्रार्थना में भी स्वयंसेवक मातृभूमि के लिए स्वयं को अर्पित करने का भाव नित्य व्यक्त करते हैं। समाज की संगठित कार्य शक्ति, जो विविध संगठनों के काम से विकसित होगी, के द्वारा भारत को परम वैभव पर ले जाने का आशीर्वाद स्वयंसेवक ईश्वर से मांगते हैं।
प्रतिज्ञा का स्मरण
सरसंघचालक जी ने कहा कि सभी संगठनों में काम करने वाले स्वयंसेवकों को अपनी प्रतिज्ञा का रोज स्मरण करना चाहिये। इसी प्रकार प्रतिदिन शाखा जाकर प्रार्थना बोलने का प्रमाणिक प्रयास करना चाहिये। इसके अलावा अपने संगठन से भिन्न संगठनों से मैत्री भाव से मिलना चाहिये। उन्होंने कहा कि ये सब होता रहा तो बेहतर तालमेल व समन्वय बनता चलेगा।