संघ कुछ नहीं करेगा और स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ेगा—डाॅ. मोहनराव भागवत

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भीलवाड़ा, 27 नवम्बर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विगत 90 वर्षों से ऐसी साधना में प्रयत्नरत है किunnamed-22 भारत एक खुशहाल देश बनें, समृद्धशाली बनें एवं यहाँ कि सनातन संस्कृति के मूल्यों का संवर्द्धन हो। उक्त विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प. पू. सरसंघचालक डाॅ. मोहनराव भागवत ने भीलवाड़ा विभाग के एकत्रीकरण में व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि संघ कुछ नहीं करेगा और स्वयंसेवक कुछ नहीं छोड़ेगा, चाहे वो किसी भी प्रकार का क्षेत्र हो। संघ की स्थापना के समय से ही संघ का प्रयास है कि समाज में सामाजिक समरसता बनी रहें। समाज में वर्ग भेद, जाति भेद व ऊँच-नीच का भेदभाव समाप्त हो।
उन्होंने कहा कि 90 वर्ष से हम नित्य संघ कार्य कर रहे है। इसकी एक सुनिश्चित पद्धति है, लम्बे समय तक एक ही कृति करने की आदत हो जाती है, परन्तु हमें उस कार्य को सोच समझ कर करना चाहिये कि हम वह कार्य क्यों कर रहे है। हम दिखावे के लिए कार्य नहीं करते है। गुणवत्तायुक्त स्वयंसेवक तैयार हो, इसके लिए प्रयत्न करना चाहिये। संघ कार्य ईश्वरीय कार्य है। जो कि सम्पूर्ण मानवता के हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है। जापान परमाणु बम हमले से पूरी तरह नष्ट हो गया था और इसी तरह चीन दो गृहयुद्धों में कंगाल हो गया था, फिर भी आज पुनः पूर्ण विकसित देशों की श्रेणी में खड़े है, जबकि भारत भी लगभग उनके साथ ही आजाद हुआ था। लेकिन भारत आज भी विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आने के लिए झूझ रहा है। इसके मूल कारणों में से एक कारण के बारें में स्वयं एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी पुस्तक में लिखा कि भारत देश ने पिछले 1000 वर्षों से शक्ति की आराधना छोड़ दी है। अपने लिये कुछ नहीं सोचकर, समाज के लिए सब कुछ लगा देना समाज सुधारकों की धारा में हुआ। एक महात्मा जो जात-पात नहीं मानते, उनके सद्प्रयास भी मर्यादा में कैद रहे। स्वामी दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानन्द आदि ने खूब प्रयास किये। लोगों ने स्वयं मोक्ष तो चाहा परन्तु समाज एवं देश के भाग्य परिवर्तन के लिए प्रयास कमजोर रहे। डाॅ. हेडगेवार ने अपनी पूर्ण सक्रियता के साथ क्रान्तिकारी धारा, राजनीतिक समाज सुधार की धारा तथा रामकृष्ण मिशन आदि धार्मिक धाराओं में कार्य किया और जेल भी गये। परन्तु इन सब के पास हिन्दू समाज के संगठन के लिए समय नहीं था, क्योंकि ये सभी अपना-अपना कार्य कर रहे थे। इसके पश्चात् डाॅ. हेडगेवार ने संघ की स्थापना की।
उन्होंने कहा कि संघ देश, समाज के लिए कार्य करने वाला संगठन है। यह हिन्दू संस्कृति, मानवीयता, वसुदेव कुटुम्बकुम आदि पर आधारित है। इसका उद्देश्य एक राष्ट्र, एक संस्कृति, एक जन का गौरव जगाने का प्रयास है। स्वयंसेवक को अपनी योग्यता व आत्मीयता बढ़ाते हुए संघ कार्य करना चाहिये। हमें अपने विरोध करने वालों को संस्कारित करना है। यह आज की संघ सृष्टि है जो भारत सृष्टि है। भारत सुखी होगा तो सम्पूर्ण दुनिया का भाग्य परिवर्तन का महान कार्य होगा।
कार्यक्रम में भीलवाड़ा महानगर के साथ संघ दृष्टि से शाहपुरा, आसीन्द व भीलवाड़ा ग्रामीण जिले के स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित हुए। मंच पर प. पू. सरसंघचालक डाॅ. मोहनराव भागवत के साथ उत्तर-पश्चिम क्षेत्र के माननीय संघचालक डाॅ. भगवती प्रकाश एवं भीलवाड़ा विभाग के माननीय संघचालक श्रीमान् जगदीश जोशी उपस्थित थे।
कार्यक्रम में शारीरिक प्रदर्शन हुए जिसमें रक्षक समता, मण्डल समता, गण समता, दण्ड प्रदर्शन, योगासन, नियुद्ध व घोष का प्रदर्शन हुआ। उसके बाद सामूहिक व्यायाम योग हुए।

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