नेत्रकुंभ में 100 करोड़ से ज्यादा का हुआ सेवाकार्य, 10 लाख लोगों की आंखों की जांच की गई। एक लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त चश्में वितरित किए गए
नेत्रकुंभ में आई महिला की आंखों की जांच करते डॉक्टर
प्रयागराज: ऋचा ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ (..हे प्रभु, हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलें) अनादिकाल से हमारी सभ्यता का अंग रही है, लेकिन यह जानना पीड़ाजनक है कि इस दुनिया में प्रकाश न देख सकने वाला हर चौथा व्यक्ति भारतीय है। भारत में अंधता की व्याप्ति के ताजा आंकड़ों के मुताबिक यह 0.45 प्रतिशत है। यह आंकड़ा देखने में तो छोटा लगता है, लेकिन जब इसे देश की बड़ी जनसंख्या के परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है तो देश में कुल दृष्टिहीन लोगों की संख्या 50 लाख होती है।( कुछ अनुमानों के अनुसार यह संख्या 90 लाख है।) इससे भी कई गुना ज्यादा उन लोगों की संख्या है जो अधोमानक दृष्टि से पीड़ित हैं। इस वर्ष जब देश प्रयागराज में अर्द्ध-कुंभ के रूप में विश्व भर में मानव समुदाय के सबसे बड़े समागम के लिए तैयार हो रहा था, उसी समय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ कृष्णगोपाल जी ने देश के सभी कोनों से आये मनुष्यों की विशाल उपस्थिति के इस अवसर को दृष्टि बाधाओं से पीड़ित लोगों के जीवन में दीर्घकालिक सकारात्मक परिवर्तन लाने वाला अवसर बनाने के बारे में विचार किया। इस प्रकार कुंभ के भीतर कुंभ के रूप में नेत्र कुंभ ने स्वरूप ग्रहण किया।
प्रयागराज में 12 जनवरी से लगा था नेत्रकुंभ
एक लाख से लोगों को मिले मुफ्त चश्में
12 जनवरी से 4 मार्च के बीच आयोजित कुंभ के दौरान 10 लाख कुंभ-यात्रियों का नेत्र परीक्षण हुआ और एक लाख से ज्यादा लोगों को मुफ्त चश्में मिले।
नेत्रकुंभ में आए लोगों द्वारा लिखे गए सुविचार
नेत्र कुंभ के स्तंभ
नेत्र-कुंभ की धुरी है नागपुर आधारित धर्मार्थ संगठन सक्षम (समदृष्टि, क्षमता विकास एवं अनुसंधान मंडल) जो दिव्यांग जनों, खास तौर पर दृष्टिबाधितों, की सेवा को समर्पित है। कई दूसरे लोककल्याणकारी संगठनों के संचालन के साथ ही सक्षम पहले से ही एक नेत्र-बैंक तथा कॉर्निया अंधत्व मुक्त भारत अभियान (काम्बा) का संचालन करता है।
नेत्रों की जांच के लिए लाइन में खड़े हुए लोग
आंखों की नि:शुल्क जांच के लिए अपनी बारी का इंतजार करते लोग
नेत्रकुंभ में आंखों की जांच के लिए इंतजार करती महिलाएं
जांच के बाद चश्मा लेेने जाती हुई वृद्ध महिला
भागय्या जी द्वारा लिखा गया संदेश
साभार
पात्र्चजन्य
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