शिक्षा—संस्कार की अलख जगाते युवक

unnamed —कोटपूतली कस्बे का संस्कार केन्द्र
—गाडिया लुहारों के बच्चों को पढा रहे हैं भीमसिंह और पंकज
विसंकेजयपुर
कोटपूतली, 14 सितम्बर। पिछडे—वंचित समाज—बंधुओं के लिए कुछ कर गुजरनेवाले युवकों में दो नाम कोटपूतली कस्बे के भीमसिंह और पंकज कुमार का भी है। इस आथिर्क युग में सामान्यत: युवा पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध में खोकर केवल धन के पीछे भागता दिखाई पड रहा है लेकिन इन दोनों युवकों ने अपनी शिक्षा को धनार्जन का जरिया न बनाकर सेवा का माध्यम बनाया। ये युवक पिछले दो साल से कोटपूतली कस्बे में अभावग्रस्त—उपेक्षित समाज—बंधु गाडिया लुहारों के बालकों को शिक्षित कर उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रहे हैं।
भीम सिंह ने बीएड तक शिक्षा प्राप्त की है जबकि पंकज बीएड प्रथम वर्ष की शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। दो साल पहले इनके मन में अपने बंधुओं के बच्चों के लिए कुछ करने की बात आई। उन्होंने गाडिया लुहारों के बच्चों को शिक्षित और संचारित करने की बात सोunnamed-1ची। कस्बे में संस्कार केन्द्र संचालित करने की योजना बनाई गई जहां न केवल जरूरतमंद बालकों को शिक्षा दी जा सके बल्कि संस्कारित भी किया जा सके। केन्द्र के लिए भवन की आवश्कता हुई तो स्थानीय आदर्श विद्या मंदिर के प्रधानाचार्य जी ने इस नेक कार्य के लिए विद्यालय भवन उपलब्ध कराने की व्यवस्था कर दी। फिर क्या था दोनों अपने अभियान में लग गए। वे गाडिया लुहारों के बीच गए और उन्हें बालकों को संस्कार केन्द्र में भेजने के लिए प्रेरित किया।
शुरूआत में समस्या
शुरूआत में अनेक समस्याओं से दो चार होना पडा। ज्यादा परिचय नहीं होने के कारण अधिकांश घरवालों ने अपने बच्चों को संस्कार केन्द्र भेजने से इनकार कर दिया लेकिन निरंतर प्रयास और सम्पर्क के चलते उन्हें सफलता मिली। दिन गुजरने के साथ—साथ संस्कार केन्द्र में बालकों के संख्या बढती चली गई। केन्द्र में नियमित आने वाले बालक न केवल पढाई में होनunnamed-2हार बल्कि संस्कारित भी होने लगे। बालकों के व्यवहार में आए परिवर्तन को देखते हुए अभिभावक भी संस्कार केन्द्र से जुडने लगे हैं। अब हालात यह है कि अनेक घरवाले तो खुद बच्चों को केन्द्र पर लाने लगे है। पढाई पूरी होने तक वे उनका इंतजार करते हैं। केन्द्र के बुलावे पर आने वाले अभिभावकों की संख्या भी काफी हुई है।
धारा—प्रवाह मंत्रोच्चारण
भीमसिंह और पंकज कुमार के अथक प्रयास से संस्कार केन्द्र के अनेक बच्चों को पुस्तक पढना और शुद्ध लिखना आ गया है। भारती, शक्ति, आशीष, किरण, साहिल, अंजनी, राहुल, प्रिया, काजल आदि अनेक संस्कृत श्लोक धारा—प्रवाह बोलते हैं।
(शिव कुमार, कोटपूतली विसंके सं.)

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen + fourteen =