ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में 29वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन, ढाई दशक बाद गूंजी ओम की ध्वनि

महर्षि महेश योगी की तप स्थली चौरासी कुटी करीब ढाई दशक बाद ओम की ध्वनि से गूंज उठी। यहां अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में आए साधकों ने प्रकृति के सानिध्य में योग कुटीरों में ध्यान लगाया। ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में आयोजित 29वें अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के पांचवे दिन परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद मुनि महाराज और योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती के नेतृत्व में एक हजार से ज्यादा साधक चौरासी कुटी पहुंचे। ध्यान सत्र को संबोधित करते हुए स्वामी चिदानंद मुनि ने कहा कि ध्यान योग के अभ्यास के लिए महर्षि महेश योगी के यह आश्रम सर्वोत्तम स्थल है। आश्रम के शांत माहौल में साधक को ध्यान लगाने में मदद मिलेगी। उन्होंने साधकों का आह्वान किया कि यहां की शांति को आत्मसात करें। उन्होंने कहा कि योग, कोई विषय या ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन पद्धति और ऊर्जा है। योग का आशय विश्वास से नहीं, बल्कि सत्य से है। गौरतलब है कि राजाजी नेशनल पार्क में शामिल होने के बाद वर्ष 1994 में चौरासी कुटी को बंद कर दिया गया था। बाद में उत्तराखंड सरकार के प्रयास के बाद वर्ष 2016 में इसे एक बार फिर पर्यटकों के लिए खोला गया।

अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग प्रशिक्षकों ने साधकों को विभिन्न योग मुद्राओं के माध्यम से सुखमय जीवन के सूत्र बताए। सुबह से लेकर शाम तक अलग-अलग सत्रों में विश्वभर से पहुंचे विदेशी साधक योग साधना में लीन रहे। उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के छठे दिन सुबह चार बजे से ही गंगा तट पर योग कक्षाएं शुरू हो गई थीं। अमेरिका से आईं सिख योग गुरु एवं विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य गुरुमुख कौर खालसा व किआ मिलर ने साधकों को कुंडलिनी योग का अभ्यास कराया। अमेरिका की ही प्रसिद्ध योगाचार्य केटी बी हैप्पी ने विन्यासा योग, परमार्थ निकेतन की सुश्री नंदिनी त्रिपाठी ने सूक्ष्म योग, ब्रिटेन से आईं योगाचार्य शाऊल डेविड ने हृदय शक्ति को केंद्रित करने, अमेरिका के योगाचार्य डेना सेराये ने ‘हार्ट ऑफ हनुमान’, अमेरिका की ऐना फॉरेस्ट व ऑट्रेलिया के जोस कैलार्को ने ‘फॉरेस्ट योग’ का प्रशिक्षण दिया। फॉरेस्ट योग संगीत, दर्शन, प्रार्थना व कविता के मेल से बनी एक आधुनिक शैली है।

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