‘अपनी’ घाटी में विदेशियों की बसावट

—अब तक बीस हजार से अधिक रोहिंग्या मुसलमानों की अवैध बसावट
—कट्टरपंथियों के बराबर सम्पर्क में ये विदेशी
विसंकेजयपुर
जयपुर, 29 जून। भले ही हमें यह पढकर आश्चर्य हो लेकिन यह सत्य है कि जम्मू—कश्मीर में योजना से विदेशियों की बसावट हो रही है। चुपके—चुपके हो रही इन विदेशियों की बसावट ने राज्य की जनसांख्यिकीय असंतुलन और सुरक्षा संबंधि समस्याओं को बढावा दिया है। घाटी में बसनेवाले विदेशियों में पाकिस्तानी, बांग्लादेशी लोगों के अलावा रोहिंग्या मुसलमानों भी है। रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या पाकिस्तानी व बांग्लादेशी नागरिकों से बहुत ज्यादा है।
सरकारी आंकडें रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या 13,400 बता रहे हैं जबकि सत्य कुछ और ही है। अब तक बीस हजार से अधिक म्यांमारी मुसलमान राज्य के कई संवेदनशील इलाकों में आ बसे है।
लगातार बढ रही है संख्या
सन् 2013 में प्रो.चमनलाल गुप्ता ने स्थानीय सरकार से रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या पूछी थी। प्रश्न के जवाब में सरकार ने इन मुसलमानों की संख्या 1621 बताई थी। सरकार द्वारा बताये आंकडें और आज के आंकडे यह बयां करते हैं कि जम्मू—कश्मीर में रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या निरंतर बढ रही है। पिछले तीन साल में सवा अठारह हजार रोहिंग्या मुसलमान राज्य में बढ चुके हैं। कश्मीरी पंडितों की वापसी पर आंखे निकालने वाले अलगावादी उनके आवभगत में लगे हुए है।
कौन है रोहिंग्या मुसलमान
सालों पहले कई उग्रवादी सीमापार आतंकी प्रशिक्षण प्राप्त करने और शस्त्र लाने में लगे थे। उनमें से कई नेपाल तथाा अन्य मार्गों से कश्मीर वापस पहुंच रहे हैं। वे अपने साथ पाकिस्तानी से पत्नियां और बच्चें भी साथ ला रहे हैं। इनकी संख्या हजारों में है। राज्य में आकर बसनेवाले ये रोहिंग्या मुसलमान कारगिल, लेह तथा बारामुला के अत्यंत संवेदनशील क्षेत्रों तक आ बसे हैं। पाक अधिकृत कश्मीर में भी ऐसे लोगों की संख्या सैकडों में है जो समय—समय पर देश विरोधी कार्यों में कट्टपंथियों का सहयोग करते हैं। जन सरक्षा कानून के तहत अब तक दस रोहिंग्या मुसलमानों को निरूद्ध किया जा चुका है। 
अधिक जानकारी के लिए पढें पांचजन्य
दिल्ली से प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका पांचजन्य का आषाड कृष्ण 14 तदानुसार 3 जुलाई 2016 का अंक पढें। पांचजन्य के इस अंक में पृष्ठ संख्या 28 पर ”अब घाटी में भी रोहिंग्या”शीर्षक से खबर प्रकाशित हुई है। इसमें रोहिंग्या मुसलमानों की जम्मू कश्मीर में बसावट पर तथ्यात्मक रिपोर्ट दी गई है।

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