…तो मातृत्व सुख व नौकरी के बीच सामंजस्य

मैटरनिटी बेनीफिट बिल २०१६

0मातृत्व लाभ (संशोधन) बिल २०१६ वृहस्पतिवार को राज्यसभा में पारित हो गया। यदि यह बिल बिना किसी रुकावट के लोकसभा में भी पारित हो जाता है एवं राष्ट्रपति की मुहर लग जाती है तो सरकारी व निजी क्षेत्र में काम करने वाली १८ लाख महिलायें इससे लाभान्वित होंगी। अब उन्हें २६ सप्ताह का वैतनिक मातृत्व अवकाश मिलेगा। २६ सप्ताह के बाद भी आवश्यकता पड़ने पर घर से काम करने का विकल्प भी मिलेगा। यह सुविधा दो जीवित बच्चों तक सीमित रहेगी। सरोगेट व बच्चा गोद लेने वाली मॉं को भी १२ सप्ताह का वैतनिक अवकाश देने का प्रावधान इस बिल में है। अभी तक निजी क्षेत्र में यह १२ सप्ताह व सरकारी क्षेत्र में २४ सप्ताह था। सरोगेट व बच्चा गोद लेने वाली मॉं के लिए मातृत्व अवकाश का कोई प्रावधान नहीं था।

इस बिल के लागू होने के साथ ही भारत विश्व के उन ४२ देशों की श्रेणी में शामिल हो जायेगा जहॉं मातृत्व अवकाश १८ सप्ताह या उससे अधिक है।
अब वे सभी कम्पनियॉं व संस्थायें जिनमें महिला कर्मचारियों की संख्या ५० या उससे अधिक है, क्रेच सुविधा देने के लिए बाध्य होंगी। सरकार का मानना है छोटे बच्चों के समुचित विकास के लिए मॉं का साथ अत्यंत आवश्यक है।

मैकिंजी ग्लोबल संस्थान की ताजा रिपोर्ट के अनुसार विश्व में औसतन ४०% महिलायें कामकाजी हैं जबकि भारत में मात्र २४% महिलाएं ही नौकरी करती हैं। ऐसोचेम के एक सर्वे के अनुसार एक चौथाई महिलाएं बच्चा होने पर नौकरी छोड़ देती हैं। इनमें से कुछ वापस नौकरी करने के बारे में सोचती ही नहीं लेकिन बाकी कुछ जो नौकरी करना चाहती हैं उन्हें ब्रेक के कारण अच्छे अवसर नहीं मिलते। इससे उनका करियर प्रभावित होता है।

आशा है इस बिल के लागू होने पर महिलाओं के नौकरी छोड़ने की दर में गिरावट आयेगी। वे मातृत्व सुख व नौकरी के बीच सही सामंजस्य बिठाने में कामयाब हो पायेंगी।

डॉ शुचि चौहान

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