आंखों में बसा है वो अद्भुत नजारा आज भी…सूर्य नारायण गुप्ता

कारसेवक संस्मरण श्रृंखला – 7

दो दिसंबर 1992 की बात है, मैं उस समय सवाई माधोपुर से अपने अन्य साथियों के साथ ट्रेन से अयोध्या के लिए रवाना हुआ था। पूरे रास्ते भर कारसेवक देश भक्ति के गीत गा रहे थे। ट्रेन का वातावरण बदल गया था। सभी के भीतर अयोध्या पहुंचने और रामलला के दर्शन को आतुर था। फिर वो क्षण आ गया, जिसे दिल में लिए हुए अपने घर से रवाना हुए थे। हम अयोध्या पहुंच गए थे। यहां पर रहने की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी लेकिन अस्थाई टेंट अवश्य ही बनें हुए थे। इसलिए हम सभी यहीं पर ठहर गए।
हां, इतना जरूर मुझे याद आता है कि हम सभी के पास बिस्तर, बर्तन और कपड़े थे जिसे हम अयोध्या साथ लेकर गए थे। वो दिन कभी नहीं भूल सकता जब लंबी कतारों में लगकर हम खाना लेकर आते और मिलकर खाते।
5 दिसंबर को हम सभी को सूचना मिली कि टोली में रहो। उस दिन दिनभर मीटिंग चली। हर जानकारी पर हम सभी बड़े जिज्ञासु थे। 6 दिसंबर को ‘सरयू’ नदी में स्नान करके हमने अपने—अपने कपड़े व रुमालो में बजरी भर ली। शायद ये हमारा एक गिलहरी योगदान ही था जो आज इतना बड़ा भव्य राम मंदिर बनने जा रहा है।
उस दिन काफी भीड़ थी। सभी को धकेला जा रहा था। शाम को श्री रामलला जी की पूजा व आरती हुई। चारों ओर जय श्री राम के नारे गूंज रहे थे। ये अद्भुत नजारा आज भी आंखों में बसा हुआ हैं।
दूसरे दिन हम सभी साथीगण ट्रेन से सवाई माधोपुर के लिए रवाना हुए। तीसरे दिन प्लेटफार्म पर से ही, पुलिस के पहरे में घर पर पंहुचाया गया था। आज मन बड़ा हर्षित हो रहा हैं कि, राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का भव्य कार्यक्रम अयोध्या में होने जा रहा है। ये हम सभी के लिए गौरव का क्षण होगा।

You may also like...

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

9 + 2 =