कारसेवक संस्मरण श्रृंखला- 6
कारसेवक गिरधारी लाल गुप्ता वर्ष 1990 की कारसेवा में अयोध्या गए थे। अपने अनुभव साझा करते हुए गुप्ता बताते हैं कि मैं उस समय बीकानेर में पढ़ाई कर रहा था और छात्र राजनीति में सक्रिय था। अपने साथी कार्यकर्ताओ के साथ बीकानेर से अयोध्या के लिए रवाना हुआ।
मन में एक ही ध्येय था राम काज के लिए जाना है बस…। उस समय कारसेवा में जाने से पहले काफी डरावना वातावरण था, यूपी सरकार के सख्त आदेश थे कि कारसेवकों को किसी भी हालत में अयोध्या नहीं पहुंचने दिया जाए। लेकिन कारसेवकों के मन में श्रीराम के कार्य करने का उत्साह और जोश था। इसलिए हम बीकानेर से रवाना होकर दिल्ली पहुंचे। हमने दिल्ली पहुंचने पर देखा कि पूरी दिल्ली ‘राममय’ हो गई है। चारों ओर जय श्रीराम और भारतमाता के नारे गूंज रहे थे। दिल्ली की सड़को के दोनों ओर कारसेवकों के लिए चाय, नाश्ता आदि की व्यवस्था में समाजसेवी रामभक्त खड़े हुए थे। हमारा डर भी भाग गया और हम अधिक जोश के साथ आगे बढ़ गए।
हम धीरे-धीरे दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना के नेतृत्व में बसों के द्वारा अयोध्या के लिए रवाना हो गए लेकिन यूपी में प्रवेश करने के कुछ समय बाद पुलिस ने हम सभी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया और देवबन्द की जेल में बंद कर दिया। याद है मुझे जेल का वो भयानक माहौल। जेल में क्षमता से चार गुना अधिक कारसेवकों को बंद कर दिया गया था। यहां पर ना तो खाने पीने की कोई व्यवस्था थी और ना ही सोने के लिए बिस्तर उपलब्ध थे। जबकि उन दिनो हल्की सर्दी का मौसम था, लेकिन यूपी सरकार के आदेशों के कारण कारसेवकों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा था।
इन सबके बीच सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में राममय वातावरण एवं उत्साह इतना अधिक था जो पहले कभी नहीं देखा गया। ये कारसेवकों की खुशकिस्मती थी कि, जेल के आसपास के ग्रामीणों ने उनके लिए खाने-पीने, चाय, नाश्ता, दूध, फल तथा सोने व ओढ़ने के बिस्तरों की व्यवस्था की थी। वो दिन आज भी आंखों में घुमता है जब कारसेवकों पर पुलिस ने गोलियां चलाई थी। इसमें हमारे राजस्थान के बीकानेर मूल निवासी कोठारी बन्धुओं सहित कई कारसेवक बलिदान हो गए थे। इन कारसेवकों के शवों को मिट्टी मे दबा दिया गया व कुछ को सरयू नदी में फ़ेंक दिया गया। ये दिन हर भारतीय को शूल की तरह चुभता होगा।
आज तैंतीस सालों बाद 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में श्री रामलला की मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होने जा रहा है। ये बेहद सुखद अवसर है। यहां मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि इस दिन सभी अपने-अपने घरों, मन्दिरों में दीवाली सा उत्सव मनाकर श्री रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की शोभा बढ़ाएं तथा इस कार्य में बलिदान हुए सभी कारसेवकों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करें।