अयोध्या की ओर बढ़ने के लिए मन था ‘दृढ़ संकल्पित’ – डॉ. सतीश भारद्वाज

कारसेवक श्रंखला- 11

जयपुर। प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर निर्माण इस संघर्ष की अंतिम परिणिति है। श्रीराम जन्म भूमि मुक्ति अभियान के प्रमुख सोपान के रूप में 1984 से 2024 की कालावधि को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। यह अवधि श्रीराम जन्मभूमि के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित रहेगी। मुझे याद है जब कारसेवा समिति के आव्हान पर कारसेवकों के 25 से 30 दल बनाए गए थे। भरतपुर से जाने वाले कारसेवकों का क्रम 22 अक्टूबर 1990 से प्रारम्भ हो गया था। गुजरात तथा राजस्थान के कुछ क्षेत्रों से जाने वाले कारसेवकों को भरतपुर से उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करना था। इन सभी कारसेवकों की भोजन व्यवस्था तथा ओल गांव तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भरतपुर के कार्यकर्ताओं ने पूरी की थी। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किये गए इस ऐलान के पश्चात कि “यूपी की सीमा में कोई परिन्दा भी पर नहीं मार सकेगा।” कारसेवकों का उत्तर प्रदेश की सीमा में प्रवेश करना चुनौती पूर्ण कार्य था।
26 अक्टूबर तक कारसेवकों की अधिकांश टोलियां अयोध्या प्रस्थान कर चुकी थी। इसी दिन शाम को मुझे भी कारसेवा के लिए रवाना होने व टोली बनाने को कहा गया। मैंने अपने कुछ साथियों के साथ 27 अक्टूबर को ट्रेन से दिल्ली और शाम को दिल्ली से लखनऊ के लिए प्रस्थान किया।
जगह-जगह पुलिस दिखाई दे रही थी। लखनऊ में सरकार और पुलिस का कारसेवकों पर चल रहा दमन चक्र अंग्रेजों के शासन की याद दिला रहा था। हमने नहा-धोकर अपने साथ लाया भोजन किया और अयोध्या की ओर निकल पड़े। सड़कों पर कारसेवकों के झुण्ड के झुण्ड राम नारों की उद्घोष लगाते चल रहे थे। हम भी उनमें सम्मिलित हो गए। लगभग आधे घंटे बाद हमें भी लखनऊ के स्टेडियम में ठूंस दिया गया। यहां हजारों कारसेवकों को रखा गया था।
अयोध्या आने के लिए सड़क मार्ग और रेल मार्ग बन्द थे। किसी तरह से लगभग 5 बजे कार सेवकों की स्टेडियम से बाहर निकलने की स्थिति बन पाई। अयोध्या तक 150 कि.मी. पैदल जाने के अतिरिक्त कोई चारा नहीं था। देखते ही देखते कारसेवकों ने अयोध्या का रास्ता पकड़ लिया। इस दौरान कई गांव पड़े, जहां रात्रि विश्राम करते और सुबह फिर अयोध्या की ओर बढ़ चलते। 31 अक्टूबर की सुबह हम अयोध्या के रास्ते पर चल रहे थे, तभी देखा कि कुछ लोग अयोध्या से लौट रहे हैं। उन्होंन बताया कि वहां पर कारसेवकों पर गोली चली है। हमारा मन आगे बढ़ने को लेकर दृढ़ संकल्पित था। हमें रूके नहीं और अंत में अयोध्या में प्रवेश कर लिया। हमने देखा कि कारसेवकों के बलिदान के बाद भी उनके उत्साह, साहस और जोश में कोई कमी नहीं थी। चारो ओर नारे गूंज रहे थे और जोश भरे गीत वातावरण में आशा का संचार भर रहे थे।
हनुमान गढ़ी के बाद सरयू में स्नान किया और फिर अयोध्या की लाल खून से लथपथ सड़कों को निहारकर सभी का संकल्प जागृत हो उठा। इसी बीच राम जन्मभूमि मुक्ति अभियान के अनेक अग्रणी नेतृत्व दाताओं के विचार भी सुनने को मिलते रहे। मैंने अपने साथियों के साथ 2 नवम्बर को निर्भय अयोध्या को प्रणाम कर प्रस्थान किया और 3 नबम्बर की सुबह भरतपुर पहुंच गए।

अक्षत निमंत्रण अभियान—
‘गुलाबी नगरी’ के हाथों में सज रहे पीले चावल
—बंट रहे अयोध्या से आए अभिमंडित अक्षत
—जगह—जगह निकल रही अक्षत कलश यात्राएं
जयपुर। इन दिनों ‘गुलाबी नगरी’ के हाथों में सज रहे हैं पीले अक्षत। हरेक के हाथ में पहुंच रहे ये पीले चावल बता रहे हैं कि अयोध्या राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उनमें कितना उत्साह है। अक्षत निमंत्रण अभियान के तहत प्रतिदिन शहर के विभिन्न गली, मोहल्लों और सोसायटी में जाकर स्वयंसेवकों द्वारा अक्षत वितरण किया जा रहा हैं। इसी के साथ भेंट किया जा रहा राममंदिर का चित्र और मंदिर से जुड़ी जानकारी वाला पत्रक विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसे देखते हुए छोटी काशी के नाम से प्रसिद्ध जयपुर का वातावरण भी पूरी तरह से ‘राममय’ हो चला है। रामधुनी, राम-नाम के जयकारे और विशेष भजन कीर्तनों के साथ विभिन्न टोलियां अक्षत निमंत्रण के कार्य में जुटी हुई हैं। शहरवासी भी इन टोलियों का माला पहनाकर, तिलक लगाकर व कहीं पर ढोल बजाकर पूरे मन और भाव के साथ स्वागत कर रहे हैं।
इसी कड़ी में मालवीय नगर स्थित श्री मालेश्वर शिव शक्ति मंदिर के तत्वावधान में अयोध्या से आए अक्षत, पत्रक एवं राममंदिर अयोध्या का चित्र मालवीय नगर सैक्टर-5 व आसपास के लगभग 500 परिवारों को संपर्क कर भेंट किए गए। संपर्क के दौरान लोगों से आग्रह किया गया कि 22 जनवरी को सभी लोग अपने-अपने घरों पर कम से कम 21 दीपक जलाएं। आयोजन को लेकर भांकरोटा अक्षत कलश यात्रा निकाली गई। कॉलोनी वासियों को पीले चावल देकर निमंत्रण दिया गया। इस मौके पर भांकरोटा स्थित राम मंदिर में 251 दीपों से महाआरती की गई।
वहीं सांगानेर श्योपुर मंडल की माधव शाखा के रघुनाथपुरी प्रथम बी एवं गोपालपुरी में कॉलोनी वासियों ने ढाई सौ परिवारों को अयोध्या से आए अभिमंडित अक्षत, रामलला की तस्वीर, रामलला प्राण-प्रतिष्ठा की विस्तृत जानकारी के पैंपलेट का वितरण किया। दोनों कॉलोनी के रामभक्तों ने राम रथ के साथ श्रीराम का संगीत गुंजित करते हुए प्रत्येक परिवार को अयोध्या से आई समस्त सामग्री वितरित की। इधर, जगतपुरा स्थित पर्ल सोसायटी में भी स्वयंसेवकों ने पहुंचकर अक्षत वितरण किया। साथ ही 22 जनवरी को घर की सजावट करने व दीप जलाने का आह्वान भी किया।
इधर, सेक्टर 5, मालवीय नगर स्थित मालेश्वर शिव शक्ति मंदिर, भांकरोटा स्थित गणेश मंदिर की ओर से भी अयोध्या से आए पूजित अक्षत चावल बांटा गया। भक्तिमय माहौल में महिलाएं पीले चावल न्यू कॉलोनी खारडा स्थित शिव मंदिर लेकर गईं।
निराश्रित बालिकाओं ने भी बांटे ‘अक्षत’—
वहीं वैशाली नगर स्थित बालिका गृह में रह रही बालिकाओं ने भी बड़े उत्साह के साथ टोलिया बनाकर क्षेत्र के घरों में पीले चावल बांटे। साथ ही नुक्कड़ नाटक के जरिये भगवान राम के जन्म से राज्याभिषेक के प्रसंग का चित्रण भी किया। वहीं, निवारू रोड, झोटवाड़ा स्थित बालाजी विहार एन कॉलोनी में अक्षत वितरण व आगरा रोड, देवकी नगर स्थित चमत्कारेश्वर मंदिर से बसंत विहार तक अक्षत कलश यात्रा निकाली गई। भांकरोटा स्थित गणेश मंदिर से अक्षत कलश यात्रा निकलकर गणतपुरा रोड स्थित राम मंदिर पहुंची। यहां पर 251 दीपों से भगवान राम की आरती की गई, जिसमें लोग बढ़ चढ़कर सम्मिलित हुए।

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