श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा- 1
किसी की नजर ना लगे मेरे ‘रामलला’ को…
—हनुमान जी की प्रेरणा मिली और बनाने लगा राम मूर्ति
—मेरा अहम नहीं, राम का आशीर्वाद कहें इसे
—सात महीने से रामलला की मूर्ति बना रहे हें जयपुर के सत्यनारायण पाण्डे
जयपुर। मनमोहक, शांत छब और आकर्षक मुस्कान लोगों के दिल जीत लेगी। जो देखेगा वो ये ही कहेगा, ”मेरे रामलला को किसी की नजर ना लगे..।” ये सौभाग्य है कि अयोध्या में विराजित होने वाले रामलला की मूर्ति ‘धरती धोरा रीं’ में रचे बसे मूर्तिकार सत्यनारायण पाण्डे द्वारा बनाई जा रही हैं। वे बताते हैं कि, रामलला जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठित होंगे तो देखने वाला बस एकटक देखता ही रह जाएगा। ये सिर्फ एक मूर्ति के रूप में नहीं बल्कि, साक्षात प्रभु श्रीराम के होने का अनुभव कराएगी।
जयपुर के मूर्तिकार सत्यनारायण पाण्डे ने बहुत ही सहजता के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि, मैं पिछले सात महीने से अयोध्या में हूं और प्रभु राम की मूर्ति बनाने में आनंदित हो रहा हूं। श्री हनुमान गढ़ी जी की कृपा हुई है जब मुझे प्रभु श्री राम के स्वरूप को मूर्ति रूप में गढ़ने का ये सुंदर सौभाग्य प्राप्त हो रहा है। इसके पीछे भी एक सुंदर कहानी है, जब मेरे द्वारा बनाया गया सैंपल पास हुआ और मकराना से व्हाइट मार्बल को अयोध्या भेजा गया।
मैं तो अपने कुल देवता हनुमान जी के दर्शन की इच्छा से हनुमान गढ़ी गया हुआ था। यहां से मैं गौरी शंकर दास जी महाराज के आश्रम में गया। मैंने अपने कुछ अनुभव उनके साथ साझा किए वे बहुत खुश हुए। इसके बाद धीरे—धीरे मेरी भेंट अयोध्या मंदिर निर्माण से जुड़े गुणीजनों के साथ हुई। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं अपने हाथों से प्रभु श्री राम के स्वरूप को तैयार करूंगा। बाकी कामों में कारीगरों की सहायता ली हैं किंतु प्रभु राम का स्वरूप मैं अपने हाथों से ही तैयार कर रहा हूं। हालांकि यहां पर ‘मैं’ का अर्थ मेरे अहम से न लें, क्योंकि राम ने ही मुझे चुना हैं वरना कौन हूं मैं…?
शास्त्रानुसार बनीं रामलला की मूर्ति—
अयोध्या में विराजित होने वाले रामलला की मूर्ति को शास्त्र के अनुसार तैयार किया गया हैं। उनके दाएं हाथ में तीर हैं और बाएं हाथ में धनुष। ये धनुष—बाण सोने व हीरे जड़ित होंगे।
ये होगा स्वरूप—
रामलला की मूर्ति पांच फीट की हैं। जो सबसे आगे होगी। पूरा पत्थर साढ़े सात फीट तक का हैं। जिसके बैग्राउंड में रामलला का दरबार दिखाया जा रहा है। इसमें 2—2 फीट लक्ष्मण, भरत, शत्रृध्न व हनुमान जी समेत 15 अन्य मूर्तियां होंगी। इसी के साथ भगवान राम के जन्म से जुड़ी कथाओं को भी मूर्तियों के माध्यम से दृश्यित किया गया हैं। जैसे- कौशल्या की कोख से जब राम अवतरित हुए थे तब उन्हें देखने के लिए भगवान शिव का आना आदि। ऐसे लगभग 500 अलग- अलग स्वरूप हैं।
सबसे ऊपर सूर्य देव—
भगवान राम सूर्यवंशी थे इसलिए सबसे ऊपर सूर्य देव बनाए गए हैं। चारों तरफ शंख, पदम, गदा और चक्र हैं।
मूर्ति निर्माण मंत्रोच्चार के साथ—
पिछले सात महीने से मूर्ति बनाने का काम चल रहा हैं। इस बीच राम नाम की धुनी, जप और मंत्रोच्चार की गूंज रहती हैं। संतों के भंडारों के बीच प्रभु श्री राम को याद किया जा रहा हैं। ऐसा कहा जाता है कि, यदि प्रभु श्रीराम खुश हैं तो हनुमान जी बेहद खुश हो जाते हैं। रामलला की अद्भुत मूर्ति का निर्माण इसी बात का साक्षी है कि हनुमान जी बहुत प्रसन्न हैं।
हर दिन बदल रहे मजदूर—
रामलला के पीछे बनने वाले सभी स्वरूपों के निर्माण के लिए आवश्यकतानुसार मजदूर बदले जा रहे हैं। कहीं पर मोटा काम हैं या कहीं पर बारीक काम हैं, इसी के अनुरूप मूर्ति निर्माण कार्य चल रहा हैं।