भील बालिका कालीबाई का बलिदान
15 अगस्त 1947 से पूर्व भारत में अंग्रेजों का शासन था। उनकी शह पर अनेक राजे-रजवाड़े भी अपने क्षेत्र की जनता का दमन करते रहते थे। फिर भी स्वाधीनता की ललक सब ओर विद्यमान...
15 अगस्त 1947 से पूर्व भारत में अंग्रेजों का शासन था। उनकी शह पर अनेक राजे-रजवाड़े भी अपने क्षेत्र की जनता का दमन करते रहते थे। फिर भी स्वाधीनता की ललक सब ओर विद्यमान...
●जन्म-11.12.1915.मे नागपुर मे हुआ। ●पिताजी सरकारी कर्मचारी। ●मूल रूप से वे कारजा गांव,बालघाट जिला(MP.)के थे।बाद मे नागपुर आ गये। ●1925.में शाखा प्रारम्भ होने के कुछ समय बाद ही मे जाने लगे ●-1935.मे मौरिस कॉलेज...
भारत को लूटने और इस पर कब्जा करने के लिए पश्चिम के रेगिस्तानों से आने वाले मजहबी हमलावरों का वार सबसे पहले सिन्ध की वीरभूमि को ही झेलना पड़ता था। इसी सिन्ध के राजा...
भारत माँ को दासता की बेड़ियों से मुक्त कराने के लिए देश का कोई कोना ऐसा नहीं था, जहाँ छोटे से लेकर बड़े तक, निर्धन से लेकर धनवान तक, व्यापारी से लेकर कर्मचारी और कवि, कलाकार, साहित्यकार तक...
भारत माँ को दासता की शृंखला से मुक्त कराने के लिए 1857 में हुए महासमर के सैकड़ों ऐसे ज्ञात और अज्ञात योद्धा हैं, जिन्होंने अपने शौर्य,पराक्रम और उत्कट देशभक्ति से ने केवल उस संघर्ष को ऊर्जा दी, बल्कि...
हिन्दू धर्म और भारत की रक्षा के लिए यों तो अनेक वीरों एवं महान् आत्माओं ने अपने प्राण अर्पण किये हैं; पर उनमें भी सिख गुरुओं के बलिदान का उदाहरण मिलना कठिन है। पाँचवे...
प्रेरणा पुरुष मास्टर अमीरचन्द – 11 मई/बलिदान-दिवस देशप्रेम की भावना व्यक्ति को कभी काले पानी जैसी भयानक जेल में यंत्रणाओं की भट्टी में झांेक देती है, तो कभी वह उसे फांसी के तख्ते पर खड़ा...
अल्लूरी सीताराम राजू का बलिदान – 8 मई/बलिदान-दिवस अल्लूरि सीताराम राजू आन्ध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के मोगल्लु ग्राम में 4 जुलाई, 1897 को जन्मे थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजमुंन्दरी व राजचन्द्रपुरम् में हुई।...
अमर बलिदानी दामोदर हरि चाफेकर – 18 अप्रैल बलिदान-दिवस दामोदर हरि चाफेकर उस बलिदानी परिवार के अग्रज थे, जिसके तीनों पुष्पों ने स्वयं को भारत माँ की अस्मिता की रक्षा के लिए बलिदान कर दिया।...
अमर बलिदानी तात्या टोपे – 17 अप्रैल बलिदान-दिवस छत्रपति शिवाजी के उत्तराधिकारी पेशवाओं ने उनकी विरासत को बड़ी सावधानी से सँभाला। अंग्रेजों ने उनका प्रभुत्व समाप्त कर पेशवा बाजीराव द्वितीय को आठ लाख वार्षिक पेंशन देकर...