Tagged: सामाजिक समरसता

संघ की शताब्दी वर्ष पर समाजहित में पंच परिवर्तन पर होगी चर्चा 0

संघ की शताब्दी वर्ष पर समाजहित में पंच परिवर्तन पर होगी चर्चा

नागपुर, १३ मार्च. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत ९९ वर्षों से सामाजिक संगठन के रूप में कार्यरत है। अगले वर्ष २०२५ में विजयादशमी को संघ की स्थापना के १०० वर्ष पूरे हो जाएंगे। शताब्दी वर्ष...

समरसता के पोषक श्रीराम का “निज सिद्धान्त” 0

समरसता के पोषक श्रीराम का “निज सिद्धान्त”

गीता में भगवान् स्वयं अपने अवतार धारण के तीन कारण बताते हैं; सज्जनों की रक्षा, दुर्जनों का विनाश और धर्म की संस्थापना। श्रीराम का अवतार भी असुरों के संहार और धर्म की स्थापना के...

पेन्ट ब्रश से खिंचा सशक्त भारत का चित्र 0

पेन्ट ब्रश से खिंचा सशक्त भारत का चित्र

सीकर। शेखावाटी साहित्य संगम के प्रथम दिन सीकर व आसपास के विभिन्न विद्यालयों के लिए पोस्टर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. प्रतियोगिता प्रभारी दीपिका शर्मा ने बताया कि प्रतियोगिता ‘सशक्त भारत’ थीम पर आधारित...

धर्म को जानने के लिए सत्य पर चलना पड़ता है – डॉ. मोहन भागवत जी 0

धर्म को जानने के लिए सत्य पर चलना पड़ता है – डॉ. मोहन भागवत जी

जबलपुर. मानस भवन में आयोजित आद्य जगद्गुरु श्री रामानंदाचार्य जी की 723वीं जयंती पर आयोजित समरसता व्याख्यानमाला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि भगवान ने अपने किसी...

समर्थ, समृद्ध, स्वाभिमानी भारत ही विश्व शांति के लिए गारंटी है – दत्तात्रेय होसबाले 0

समर्थ, समृद्ध, स्वाभिमानी भारत ही विश्व शांति के लिए गारंटी है – दत्तात्रेय होसबाले

जयपुर, 10 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा है कि समर्थ, समृद्ध व स्वाभिमानी भारत ही विश्व शांति के लिए गारंटी है, यह हमारा विश्वास है। वे रविवार को जयपुर...

जयपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम का शुभारंभ 0

जयपुर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय सेवा संगम का शुभारंभ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक ने किया समरसता के लिए सेवा पथ पर अग्रसर होने का आह्वान जयपुर, 7 अप्रैल। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत ने कहा कि जब देश का...

धर्म सारी सृष्टि के साथ जीना सिखाता है – डॉ. मोहन भागवत जी 0

धर्म सारी सृष्टि के साथ जीना सिखाता है – डॉ. मोहन भागवत जी

जबलपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि समाज में कुटुंब के नाते एक उदाहरण प्रस्तुत करना हमारा कर्तव्य बन गया है. स्वभाषा, स्वदेशी का आचरण, देश-समाज के लिए...