Category: column ( स्तंभ )

0

भारतीयता का मूल भाव

‘भविष्य का भारत’ – इस विषय पर हाल ही में हुई व्याख्यान माला में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत ने जब कहा कि “संघ जिस बंधुभाव को लेकर काम करता...

हिन्दुओं का कातिल और मंदिरों को ध्वस्त करने वाला तानाशाह था टीपू 0

हिन्दुओं का कातिल और मंदिरों को ध्वस्त करने वाला तानाशाह था टीपू

जयंतियां हम मनाते हैं महान हस्तियों को याद करने के लिए, लेकिन टीपू सुल्तान की जयंती मनाना सिर्फ मुस्लिम वोटरों को लुभाना ही कांग्रेस का एकमात्र मकसद है. सेकुलर और वामपंथी इतिहासकारों द्वारा लिखी...

यदि हिटलर अत्याचारी था, तो टीपू सुल्तान नायक कैसे? 0

यदि हिटलर अत्याचारी था, तो टीपू सुल्तान नायक कैसे?

टीपू सुल्तान और एडोल्फ हिटलर ने अपने शासनकाल में एक विशेष संप्रदाय को शिकार बनाया, साथ ही यह दोनों ब्रितानियों से लड़े भी थे. अब ऐसा क्यों है कि जहां भारत में हिटलर की...

हिन्दुओं का हितैषी नहीं बर्बर हत्यारा था टीपू 0

हिन्दुओं का हितैषी नहीं बर्बर हत्यारा था टीपू

दक्षिण भारत में असंख्य लोग जानते हैं कि टीपू का शासन हिन्दू जनता के विनाश और इस्लाम के प्रसार के अलावा कुछ न था. अंग्रेजों से उस की लड़ाई अपना राज और अस्तित्व बचाने...

झूठे बाने में पलता पीएफआई का जिहाद 0

झूठे बाने में पलता पीएफआई का जिहाद

कुछ बरसों से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पी.एफ.आई.) अपने कारनामों के कारण पूरे देश में चर्चित है. रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह संगठन उभरते भारत के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है....

कांग्रेस के कार्यकाल में हुए हाशिमपुरा नरसंहार पर क्यों मौन है सेकुलर मीडिया ! 0

कांग्रेस के कार्यकाल में हुए हाशिमपुरा नरसंहार पर क्यों मौन है सेकुलर मीडिया !

मेरठ के हाशिमपुरा कांड में 2 मई 1987 को हुए नरसंहार में दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. दिल्ली हाइकोर्ट ने सभी को हत्या, अपहरण, साक्ष्यों को मिटाने का दोषी मानते हुए...

अमेरिका भी मानता है कि भारत वामपंथी हिंसा से पीड़ित है 0

अमेरिका भी मानता है कि भारत वामपंथी हिंसा से पीड़ित है

देर से ही सही, पर अब विश्व के कई देश जान गए हैं और मान भी रहे हैं कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी), जिसे भाकपा (माओवादी) के नाम से जाना जाता है, भारत के...

शाश्वत मूल्यों के प्रकाश में चलने वाली परम्परा के लिए ग्लास्नोस्त शब्द अप्रासंगिक है 0

शाश्वत मूल्यों के प्रकाश में चलने वाली परम्परा के लिए ग्लास्नोस्त शब्द अप्रासंगिक है

सरसंघचालक डॉ. मोहन जी भागवत की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के पश्चात अपेक्षित बहस जनमाध्यमों में चल पड़ी है. अनेक लोगों ने इसका स्वागत किया है. कुछ लोगों ने जो कहा गया उसकी प्रामाणिकता पर...

विरोध, दुष्प्रचार, कुठाराघात के बावजूद संघ कार्य व विचार सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी बन रहा 0

विरोध, दुष्प्रचार, कुठाराघात के बावजूद संघ कार्य व विचार सर्वव्यापी, सर्वस्पर्शी बन रहा

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी की तीन दिवसीय व्याख्यानमाला, भविष्य का भारत : संघ का दृष्टिकोण, पूर्णतया सफल रही. इस व्याख्यानमाला में प्रतिपादित विषयों की कुछ चर्चा अभी...