नमन है उस भारत भूमि को जिसकी सभ्यता और संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है इसका कारण भारत वासियों की सहिष्णुता, सद्भावना और प्रेम है।
भारत पर अरब साम्राज्यवाद का पहला आक्रमण मुहम्मद बिन कासिम ने 712 ईस्वी में किया था। उसने इस्लाम को फैलाने के लिए सामरिक एवं सांस्कृतिक दोनों तरीकों का इस्तेमाल किया था। वो यह जानता था कि युद्ध से देश जीता तो जा सकता है लेकिन उस पर प्रभुत्व जमाने के लिए वहाँ की सभ्यता और संस्कृति में बदलाव आवश्यक है अतः उसने सिंध प्रांत के लोगों को अरब संस्कृति और धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया। डॉ भीमराव अम्बेडकर ने अपनी पुस्तक ‘पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन’ में इसका जिक्र किया है। इसके बाद भी अनेक बार इस्लाम के हमले संपन्न भारत पर हुए किंतु भारत की प्राचीन और शाश्वत संस्कृति को खत्म नहीं कर पाए। इसका कारण हमारे संस्कार हैं। हमें सिखाया गया है
अयं निजः परोवेति
गणना लघु चेतसाम्
उदार चरितानां तु
वसुधैव कुटुम्बकम् ।’
अर्थात् अपने और पराए का भेद तो तुच्छ मानसिकता वालों की वृत्ति होती है। उदार चरित्र वालों के लिए तो पूरी पृथ्वी ही परिवार के समान है।
ऐसा विश्वास करने वाला जनसमूह प्रायः उदारता का का प्रवर्तक रहा है।
समय बीता देश परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त हुआ। हमारे देश का ही एक टुकड़ा हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान बना। प्रारंभ से ही उसने कश्मीर को हथियाने की कोशिश की। भारतीय सेना, हमारे परम आदरणीय सरदार पटेल और बलराज मधोक, राजा हरि सिंह जैसे लोगों ने उस समय किसी तरह बचा लिया किंतु चिंगारी सुलगती रही और वहां की धर्मांध सुन्नी जनसंख्या धर्म के नाम पर अपनी ही सरजमीं पर कत्लेआम करने लगी। देश के विभिन्न क्षेत्रों में भी आतंकी हमले होने लगे। जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने सेना पर भी हमले किए। उरी और पुलवामा ने भारतीयों को शोक के सागर में डुबो दिया। हमें मालूम है कि हमारी अखंडता खतरे में है और सभी को एकजुट होकर शत्रु को हराना है। देश सर्वोपरि है। मातृभूमि की रक्षा हेतु कश्मीरी नौजवान भी सेना में भर्ती हो रहे हैं। पुलवामा में हुई नृशंसता के बाद देश भर में देशव्यापी आतंक विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारों से गली मोहल्ले गूंज रहे हैं। लोग इकट्ठे होकर कैंडल मार्च निकाल रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाएं और वैचारिक आदान प्रदान से आभास हो रहा है कि आज हर भारतीय जागरूक और तत्पर है देश के दुश्मन को मिटाने के लिए। सभी भारतीय समझ चुके हैं
कि
शठे शाठ्यं समाचरेत।
भानुजा श्रुति।