शिक्षा में गुणात्मकता के लिए नए प्रयोगों को स्वीकार करने की मानसिकता बनानी होगी – दत्तात्रेय होसबले जी

‘स्कूलिंग विद स्किलिंग’ पर हर विद्यालय करे विचार – राव

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले जी ने कहा कि ‘नित्य नूतन चिर पुरातन’ यह भारत की परंपरा है. शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मकता की दृष्टि से नए प्रयोगों को स्वीकार करने की मानसिकता बननी चाहिए. विद्या भारती के शैक्षिक विषयों एवं प्रयोगों को समाज सहज रूप से स्वीकार करे, ऐसा भगीरथ प्रयास करना होगा. विद्या भारती शिक्षा क्षेत्र में राष्ट्रीय आंदोलन के नाते प्रयासरत है.

सह सरकार्यवाह रविवार (15 सितंबर) को विद्या निकेतन में चल रही विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षा संस्थान की तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के समापन सत्र में संबोधित कर रहे थे.

विद्या भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री काशीपति जी ने कहा कि विद्या भारती में दो प्रकार के कार्य हैं, एक विद्यालय गुणवत्ता पूर्वक चले और भारतीय शिक्षा के समग्र मॉडल के नाते समाज में स्थापित हो. दूसरा समाजोन्मुख कार्य, पूर्व छात्र, संस्कृति बोध, विद्वत परिषद, शोध, प्रचार विभाग, संपर्क विभाग, अभिलेखागार, इन सभी के कार्यों से भी शिक्षा जगत में प्रभावी योगदान देकर मूल्य स्थापित करना है.

अध्यक्षीय उद्बोधन में रामकृष्ण राव ने कहा कि शिक्षा जगत में परिवर्तन लाना हमारा लक्ष्य है. देशभर में आदर्श विद्यालय, एकल विद्यालय व संस्कार केंद्रों की संख्या बढ़ाएंगे. देशभर में ‘स्कूलिंग विद स्किलिंग’ के बारे में समस्त शिक्षा जगत को विचार करने की आवश्यकता है.

कार्यकारिणी बैठक में आए 200 से अधिक कार्यकर्ता नई ऊर्जा, नई उमंग, नए उत्साह और नए संकल्प के साथ अपने कार्य क्षेत्र को लौट रहे हैं. बैठक में शिक्षा जगत से जुड़ी 10 पुस्तकों का भी परिचय कराया गया.

विद्यालय में कार्यक्रम सफलतापूर्वक आयोजित करने वाले प्रबंधकों, आचार्य, छात्र, छात्राओं, अभिभावकों और पूर्व छात्रों का उत्साहवर्धन किया गया. वंदे मातरम के साथ तीन दिवसीय बैठक संपन्न हुई.

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