भारतीय कालगणना ही पुरातन एवं श्रेष्ठ है – डॉ. प्रमोद कुमार

32विसंके जयपुर। प्रत्येक देश की कोई न कोई काल गणना होती है इसी प्रकार से भारत में भी कुछ कालगणनायें प्रचलन में रहीं हैं जिनमें से विक्रम संवत कालगणना सर्वाधिक पुरातन, श्रेष्ठ एवं पूर्णतः वैज्ञानिक है, यह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयपुर प्रान्त के सम्पर्क प्रमुख डॉ. प्रमोद कुमार जी का वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भरतपुर द्वारा स्थानीय आदर्श विद्या मंदिर, रणजीत नगर में वर्ष प्रतिप्रदा उत्सव पर स्वयंसेवको को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति स31भ्यता अत्यन्त पुरातन है जो गौरवमयी भी है मोहन जोदडो- हडप्पा ईसा से पच्चीस सौ वर्ष पुरानी है, कणाद ऋषि ने ईसा से छः सौ वर्ष पूर्व ही अणु की खोज कर ली थी, किन्तु हमारी ही कमजोरियों के कारण हमें कई वर्षो तक गुलामी की जंजीरों में बंधना पडा। अंग्रेजों ने षणयंत्र पूर्वक हमारे गौरवशाली इतिहास को भुलाने के लिये कुचक्र किये उन्ही में से एक था हमारी कालगणना को भुलाना, पूरे देश में ग्रेगरेरियन कलेण्डर लागू किया गया। अब समय आ गया है कि हम पुनः अपने अतीत को समझे जाने और तर्कपूर्ण वैज्ञानिक कालगणना का प्रयोग करें।
डॉ. प्रमोद ने अपने उद्बोधन में बताया कि विश्व की प्रचलित समस्त काल गणनाओं में भारतीय काल गणना प्राचीनतम एवं श्रेष्ठ है। काल की इकाइयों की उत्तरोत्तर वृद्धि और विकास के लिए कालगणना के हिन्दू विशेषज्ञों ने अन्तरिक्ष के ग्रहों की स्थिति को आधार मानकर पंच वर्षीय, 12 वर्षीय और 60 वर्षीय युगों की प्रारम्भिक इकाइयों का निर्माण किया। मुख्य वक्ता ने कहा कि भारतीय कालगणना की सूक्ष्मतम इकाई त्रुटि है। यह वह समय होता है जिसमें किसी कमल के पत्ते में सुई से छेद करने में लगता है अर्थात् इसका परिमाप वर्तमान एक सैकेण्ड के 33750 वें भाग के बराबर है और कालगणना की उच्चतम माप महाकल्प तक गई है।
मुख्यवक्ता ने कहा कि भारतीय नववर्ष की प्रामाणिकता पर प्रकृति भी अपनी स्वीकृति प्रदान करती प्रतीत होती है क्योंकि इसी समय किसानों के घर नया अन्न आता है, वृक्षों में नये पत्ते आने लगते है और यहॉं तक कि पशुपक्षी भी अपना स्वरुप नये प्रकार से परिवर्तित कर लेते हैं। इसी क्रम में उन्होंने कहा कि आज के पावन दिन से हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम सदैव सकारात्मक सोच के साथ अपने कर्त्तव्यों का निर्वाहन करें।

वर्ष प्रतिपदा पर संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्म दिवस होता है, इस दिन संघ शाखाओं पर कार्यक्रम से पूर्व आद्य सरसंघचालक प्रणाम दिया जाता है। आद्य सरसंघचालक प्रणाम ध्वजारोहण से पूर्व होता है। अतिथियों द्वारा परम पूजनीय डॉ. हेडगेवार एवं श्री गुरुजी के चित्रों पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलन किया गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ में स्वयंसेवकों ने शारीरिक, योग, दण्ड, समता आदि के प्रदर्षन किये। कार्यक्रम में उपस्थित सभी स्वयंसेवकों का तिलक लगा कर स्वागत किया गया।

इस अवसर पर भरतपुर नगर के नगर कार्यवाह श्री मुकेश जी सिंघल ने आगामी सत्र के लिए संघ के नवीन दायित्वों की भी घोषणा की। कार्यक्रम के अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, भरतपुर के विभाग संघचालक श्री महेन्द्र सिंह मग्गो एवं विशिष्ठ अतिथि श्री गोविन्द गुप्ता थे।
विभिन्न संगठनो द्वारा भी हर्षोल्लास से मनाया गया नववर्ष
आज हिन्दू नववर्ष संवत 2074 के प्रथम दिन अनेक संगठनों ने भरतपुर शहर के प्रमुख चौराहों को रंगोली, भगवा पताकायें, वन्दनवार आदि के द्वारा सजाया गया। इसी के साथ नागरिकों के माथे पर तिलक लगाकर प्रसाद वितरित किया। आम लोगों को हिन्दू नववर्ष का महत्व भी बताया गया। इसी क्रम में महाराजा मानसिंह सर्किल पर भारतीय मजदूर संघ के जितेन्द्र कुमार शर्मा, मेम्बर सिंह कुन्तल, बहादुर सिंह, शम्भुदयाल शर्मा, विजय सिंह चौहान, दीनदयाल वर्मा, राजेश शर्मा, यूआइटी सर्किट हाउस चौराह पर राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ राष्ट्रीय के डॉ.जग्गो सिंह, डॉ.मानवेन्द्र चतुर्वेदी, डॉ.योगेन्द्र भानू, डॉ.राजेन्द्र सिंह, डॉ.आनन्द रावत, कुम्हेर गेट चौराहे पर विश्व हिन्दू परिषद के नरेश खण्डेलवाल, सतीश भारद्वाज, कृष्ण गोपाल, जय प्रकाश, हीरादास चौराहे पर आदर्श विद्या मंदिर केशव नगर के ओमप्रकाश, गौरीशंकर, मोहन सिंघल, लक्ष्मण सिंह बिजली घर चौराहे पर अधिवक्ता परिषद के राजेन्द्र खण्डेलवाल, पुनीत गर्ग, नरेश सिंघल, रेडक्रास सर्किल पर भारत विकास परिषद के शंकर लाल, भगवत सिंह, रेल्वे स्टेशन पर आदर्श विद्या मंदिर रणजीत नगर के कृष्णकान्त, गोविन्द गुप्ता एम.एस.जे.कॉलेज के सामने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दिनेश भातरा, नरेन्द्र सातुरंक, संजय फौजदार, आकाश हथैनी, चेतन चौधरी, चौगुर्जा चौराहे पर ग्राहक पंचायत के उमाशंकर शर्मा सेवर चौराहे पर किसान संघ के सुधीर चौधरी, ओमप्रकाश जवाहर सिह नगर के भगत सिंह चौराहे पर बालिका आदर्श विद्या मंदिर के कमलेश, कृष्णा, डॉ.बी.के.गुप्ता, डॉ.धन्ांजय द्विवेदी आदि ने सहयोग प्रदान किया।
आभार
प्रचार विभाग, भरतपुर

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