दुनिया के लिए भारत आज भी विश्वगुरु—श्री निम्बाराम जी

अन्तर्राष्ट्रीय योग दिव???????????????????????????????स पर ‘अष्टांग योग’ कार्यक्रम
विसंकेजयपुर 
जयपुर, 21 जून। ”हम बोलते है कि हमारा देश विश्वगुरू था, जबकि आज भी भारत विश्वगुरु है। इसका बडा प्रमाण भारत के प्रधानमंत्री के अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को 193 देशों का समर्थन मिलना है। विश्व ने तो हमें गुरु स्वीकार रखा है लेकिन क्या हम इसके लिए तैयार है? यह विचार करने की आवश्यकता है”यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयपुर प्रांत प्रचारक श्री निम्बाराम जी ने कही। वे मंगलवार को बिडला सभागार में आयोजित अपटर्म हेल्थ के ‘अष्टांग योग’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि योग का अर्थ जोडना होता है और केवल आत्मा, मन आदि को ही जोडना नहीं बल्कि मनुष्य को मनुष्य से भी जोडना है। विश्व ने यह स्वीकार कर लिया है कि सुख, शांति एवं उत्तम स्वास्थ्य पूर्ण वैज्ञानिक भारतीय विचार, जीवन मूल्य, जीवन शैली से ही संभव है। इसके चलते विश्व में अपने विचार की स्वीकार्यता बढी है जबकि हम ही इन्हें अपनाने में संकोच कर रहे हैं। हमें भारतीय जीवन मूल्य और जीवन शैली को पहचाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें दुनिया की अच्छी बातों को भी स्वीकार करना चाहिए लेकिन हजारों सालों से स्थापित भारतीय  जीवन मूल्य और शैली को भी नहीं छोडना चाहिए।
हिन्दू विचार भारती???????????????????????????????य विचार पूरक
श्री निम्बाराम जी ने कहा कि अपने विचारों को भारतीय विचार कहने से कोई किसी को आपत्ति नहीं होती है लेकिन हिन्दू विचार कहने से अपने ही देश के कई लोगों को ये बात हजम नहीं होती लेकिन ये दोनों पूरक है। भारतीय विचार यानि वे हिन्दू विचार ही है।

हमें परम्पराओं की ओर लौटना होगा—श्री राठौड.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री राजेन्द्र सिंह राठौड. ने बताया कि सरकारी प्रयास से योग दिवस पर पूरे राजस्थान में दस हजार से अधिक स्थानों पर योगाभ्यास कार्यक्रम आयोजित हुए जहां तीस लाख से अधिक लोगों ने सामूहिक योगाभ्यास किया। उन्होंने सुख,शांति और उत्तम स्वास्थ्य के लिए अपने परम्पराओं की ओर ही लौटना का आह्वान भी किया।???????????????????????????????

चाहिए हाथ—पांव गरम, पेट नरम, सिर ठण्डा…
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय समन्वयक एवं मधुमेह मुक्त भारत अभियान के प्रमुख श्री श्रीनिवास जी भी कार्यक्रम में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि मधुमेह रोग नहीं है बल्कि शरीर में व्याप्त अव्यवस्थाएं है। नियमित तय आसन—प्राणायामों का अभ्यास कर मधुमेह से मुक्ति पाई जा सकती है। जिस व्यक्ति के हाथ—पांव गर्म, पेट नर्म, सिर ठण्डा रहता है वह बीमार नहीं हो सकता है। ऐसी स्थिति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को नियमित योगाभ्यास करना चाहिए। इस अवसर पर उन्होंने अनेक आसनों का भी अभ्यास कराया।

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