उन्होंने वनवासी कल्याण आश्रम के कारण समाज में आये विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन करते हुये कहा कि विभिन्न स्थानों पर आश्रम द्वा चलाये जा रहे खेल केन्द्रों के कारण वनवासी समाज से ऐसी प्रतिभाएं उभरी हैं, जो देश का नाम रोशन कर रही हैं। राजस्थान की एक महिला का उदाहरण देते हुये। उन्होंने कहा कि गांव की एक विधवा को डायन बता कर उसके साथ अत्याचार किया गया। वनवासी कल्याण आश्रम से जुडी इक महिलाओं ने न केवल पीडित महिला की जान बचाई जबकि उसे उचित न्याय भी दिलाया।
वनवासी कल्याण आश्रम के प्रयासों से कोलकत्ता में वनवासी समाज के 200 से ज्यादा लोगों ने अपने व्यापार स्थापित कर लिये हैं। नगरीय जीवन बिताने वाले लोगों को जाग्रत किया है। आम लोगों के मन में वनवासी समाज के लोगों के प्रति गलत धारणा बनी हुई है कि सरकार वनवासी समाज के लोगों को बहुत पैसा देती है, इस भ्रम को दूर कर समाज को वनवासी समाज की सेवा के लिये तैयार किया है।
गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में मुजफ्फनगर के सेवानिवृत्त जिला जज एसके भट्ट ने भी अपने विचार रखे।