राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी ने कहा कि मौजूदा समय में भारतीय शिक्षा प्रणाली और विद्यार्थी दोनों एक परंपरागत ढांचे में बंध कर आगे बढ़ रहे हैं. इससे शिक्षा का असली उद्देश्य पूर्ण नहीं हो रहा है. इसलिए शिक्षा प्रणाली और विद्यार्थियों को एक सीमित ढांचे से निकालना जरुरी है. सरकार्यवाह मंगलवार को शहर के धरमपेठ शिक्षा संस्था के साइंस कॉलेज के सुवर्ण महोत्सव पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि विज्ञान की शिक्षा लेते वक्त शिक्षा का विज्ञान जानना जरुरी है. अभी 35 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाला विद्यार्थी परीक्षा में पास हो जाता है. लेकिन देखा जाए तो वह 65 प्रतिशत फेल होता है. इस तरह का मूल्यांकन कितना योग्य है, इस पर विचार करने की जरुरत है. शिक्षा प्रणाली के पास सर्वसाधारण लोगों की समस्या का समाधान करने की क्षमता व दृष्टिकोण है या नहीं, इसका उत्तर ढूंढना भी जरुरी है.
मौजूदा शिक्षा प्रणाली केवल सूचना का माध्यम बन कर रह गई है. इससे स्पर्धा ने जन्म लिया है. वहीं दूसरी ओर रोजगार उन्मुख शिक्षा का ध्येय रखने वाले बहुत से विद्यार्थी विदेशों में जाकर वहां के विकास में योगदान दे रहे हैं. लेकिन ज्ञान और विवेक के अभाव में उनका गुणात्मक विकास नहीं होता. उन्होंने विज्ञान के दुष्प्रभाव पर कहा कि शिक्षा से “नर का नारायण” हो, ऐसी अपेक्षा होती है.
उन्होंने कहा कि गत आठ दशकों से विज्ञान का उपयोग से ज्यादा दुरूपयोग किया जा रहा है. हिरोशिमा- नागासाकी पर गिराया गया परमाणु बम या फिर उत्तर कोरिया द्वारा बार बार विनाशकारी शस्त्रों का परीक्षण विज्ञान के विकृत चेहरों में से एक है. इन प्रसंगों से विज्ञान का विभत्स रूप सामने आया है.
आज की शिक्षा प्राचीन और आधुनिकता का सुवर्ण मध्य बनकर देशहित का विचार सामने रखकर उसका पुरस्कार करने वाली होनी चाहिये. ऐसी शिक्षा प्रणाली को बदलने की नीति निर्धारित करने वाले शिक्षाविद, पालक, समाज के विविध घटक और विद्यार्थियों को अपनी जिम्मेदारी और भूमिका पहचानने की आवश्यकता है. ज्ञान मार्ग से व्यक्तित्व का विकास तो होगा ही, साथ में व्यक्ति का विवेक भी जागृत करे, मनुष्य निर्माण हो. मैं कौन हूं? और मुझे क्या करना है? ऐसी शिक्षा होनी चहिये.
कार्यक्रम का प्रारंभ विज्ञान प्रदर्शनी के उद्घाटन के साथ हुआ. मंच पर धरमपेठ शिक्षण संस्था के अध्यक्ष एड. उल्हास औरंगाबादकर, प्राचार्य डॉ. अखिलेश पेशवे, सचिव रत्नाकर केकतपुरे, उपस्थित थे. विशेष उपस्थिति राष्ट्र सेविका समिति प्रमुख संचालिका शांतक्का जी, पूर्व प्रमुख संचालिका प्रमिलाताई मेढे तथा नागपुर के शिक्षा क्षेत्र तज्ञ, प्राध्यापक वर्ग और गणमान्य नागरिक तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे.