आज दिनांक 26फरवरी को सीकर के स्थानीय जैन भवन में ज्ञान गंगा पुस्तक मेले में बोल रहे थे, इन्होंने बताया कि सीएए को लेकर जो महिलाएं शाहीन बाग मे विरोध कर रही है, उनमें अधिकतर महिलाओं की उम्र 60 वर्ष से ऊपर है यानी का आजादी के समय भारत में शिक्षा का प्रतिशत 12 से 15% के बीच रहा था ,अर्थात जो महिलाएं विरोध कर उनमें से किसी भी महिला ने यह 52 पेज का ड्राफ्ट नहीं पढा़ है ,तथा ना ही उनको इसकी जानकारी है ।ड्राफ्ट को पढ़ा ही नहीं है ,और जिस विरोध को लेकर वह प्रदर्शन कर रहे हैं ।ड्राफ्ट मे ऐसा कोई ऐसा प्रावधान नहीं है ,जो मुसलमानों को तो छोड़ दो किसी को भी परेशान कर रहा है ।लेकिन इन महिलाओं को भड़का कर आगे कर दिया गया है इनको भड़काने का काम 3 तरह के लोग कर रहे हैं एक तो जिनकी राजनीति खत्म हो गई है दूसरे हुए लोग जो मोदी जी का सदैव विरोध करते है और तीसरी सांप्रदायिक और विदेशी ताकतों का हाथ भी हो सकता है। जो देश में अमन और चैन नहीं होने दे रहे हैं ।
नेता लोग अपने भाईचारे को बिगाड़ना चाहते हैं, क्योंकि अपना भाईचारा बिगड़ने से उनको चारा मिलता है।*CAA* विरोध में सुप्रीम कोर्ट में 142 पीआईएल दायर हो चुकी है ,यदि संविधान पर भरोसा है तो इन्हें विश्वास करना चाहिए ओर इंतजार करना देश में जितने भी आंदोलन हुए हैं उनमें आंदोलन की कमेटियां बनी है आंदोलन की एक रूपरेखा तैयार की गई है ,शहीन बाग ऐसा आंदोलन है जिसमें न तो कोई नेता है नहीं कोई रूपरेखा तय है और नहीं इनके पास में ऐसे तथ्य हैं कि *एक्ट के इस बिंदु पर बात करना चाहते हैं क्योंकि यह बिंदु हमें परेशान कर रहा है, हम इस विषय को लेकर विरोध कर रहे हैं यह बात जगजाहिर है ।धन्यवाद अरविंद कुमार महला ने किया अध्यक्षता मेला संयोजक बाबूलाल मील ने की।संचालन मीडिया प्रभारी छगन लाल रांका ने किया।