साहित्य में भारत चाहिए—श्री विपिन विहारी

—साहित्य परिषद की स्थापना के पचास साल पूरे
—जयपुर में स्वर्ण जयंती वर्ष व्याख्यान सम्पन्न
विसंकेजयपुर
जयपुर, 15 सितम्बर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद की स्थापना को पचास साल हो गए है। इस अवसर पर परिषद की जयपुर ईकाई की ओर से गुरूवार को14359129_1154929704574457_982330795134556854_n न्यू कॉलोनी स्थित भारत भवन में ‘हमारा दृष्टिकोण’ विषयक स्वर्ण जयंती वर्ष व्याख्यान आयोजित किया गया।
साहित्य परिषद के क्षेत्रीय संगठन मंत्री श्री विपिन विहारी ने संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश में शिक्षा और साहित्य दोनों की स्थिति एक जैसी है। भारत में शिक्षा और साहित्य तो है लेकिन शिक्ष और साहित्य में भारत नहीं है जो होना चाहिए। जैसा देश हमें चाहिए वैसा साहित्य सृजन करना इसके लिए साहित्य परिषद पिछले पचास साल से प्रयासरत हैं।
परिषद के प्रदेशाध्यक्ष डॉ.अन्नाराम शर्मा ने कहा कि पश्चिम का चिंतन व्यक्तिवादी है। वहां जो कमाएगा वो खाएगा की प्रवृति है जबकि भारतीय चिंतन लोककल्याणकारी है। यहां मान्यता है कि जो कमाएगा वो खिलाएगा। इसी के कारण तो भारतीय के पेट में दाने नहीं होने के बाद भी वह दूसरों को खिलाने की सोचता है।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामलक्ष्मण गुपता भी मंच पर उपस्थित थे।

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