भारत के आर्थिक इतिहास का अध्ययन आज भी अधूरा है – प्रकाशचंद्र

उदयपुर. लघु उद्योग भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री प्रकाशचंद्र ने कहा कि भारत को अब सोने की चिड़िया नहीं, बल्कि सोने का शेर बनाना है. मेक इन इंडिया के लोगो की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अब चिड़िया नहीं बनना कि कोई उसके पंख तोड़ ले जाए, अब शेर बनना है कि कोई आंख उठाकर देखने से पहले दस बार सोचे. वे शनिवार को प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ के कुम्भा सभागार में आयोजित उद्योग संगम में उपस्थित लघु उद्यमियों को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि भारत के आर्थिक इतिहास का अध्ययन आज भी अधूरा है. दो हजार वर्ष पूर्व से लेकर आज तक के आर्थिक विकास का तुलनात्मक अध्ययन लगातार होना चाहिए. कुछ विद्वानों ने लिखा है कि आज भले ही वर्ल्ड इकॉनोमी में भारत का योगदान तीन से चार प्रतिशत हो, लेकिन पहले यह आंकड़ा 50 प्रतिशत से अधिक था. और यह योगदान भारत के उत्पादों की विश्वसनीयता को लेकर भी था. भारत के उत्पाद उत्कृष्ट होते थे. उत्कृष्टता की भूख भारत के हर निर्माता में थी, चाहे वह खेतीहर किसान हो या कपड़ा बुनने वाला. और तो और पीढ़ी-दर-पीढ़ी नवाचार भी होते थे और उन्हें प्रोत्साहन दिया जाता था. प्रोत्साहन पूरा व्यवसायी समाज देता था, आज की तरह गला काट स्पर्धा नहीं थी, बल्कि उत्कृष्टता और नवाचार पर चिंतन था जो सकारात्मक स्पर्धा का द्योतक था. आरएंडडी हमारे डीएनए में है, इसलिए जब भारत को अपनी उत्कृष्टता को दिखाने का मौका मिला तो कोरोना काल में पूरी दुनिया ने देखा. भारत की वैक्सीन का सक्सेस रेट 80 प्रतिशत से अधिक था, जबकि अन्य वैक्सीन का 50 प्रतिशत से भी नीचे था.

भारत के उत्कृष्ट चिंतन को हतोत्साहित करने का कारण मैकाले की शिक्षा पद्धति को बताते हुए कहा कि गांव-गांव में गुरुकुल देख अंग्रेजों को यह समझ आ गया था कि भारत को ताकत के बूते कमजोर नहीं किया जा सकता, ऐसे में मैकाले आया और ऐसी शिक्षा प्रणाली विकसित हुई कि हमारा स्व चिंतन दूर होता गया और गुलामी की मानसिकता प्रवेश करती गई. उन्होंने कहा कि पंच प्रण में पीएम मोदी भी यह कहते हैं कि पराधीनता के समय की मानसिकता से मुक्ति जरूरी है. पहले वन फैमिली वन इंडस्ट्री हुआ करती थी, हर व्यक्ति उत्पादक था, कुछ न कुछ बनाता था, देखा जाए तो वही आह्वान किया जा रहा है कि एंटरप्रेन्योर बनिये, स्टार्टअप शुरू कीजिये.

उन्होंने सामूहिकता के भाव को अपनाने का आह्वान किया और कहा कि मैं और मेरा परिवार की मानसिकता से ऊपर उठकर सोचें. एक दूसरे को बढ़ावा दें क्योंकि दुनिया कहने लगी है कि चौथी औद्योगिक क्रांति का नेतृत्व भारत करेगा.

लघु उद्योग भारती द्वारा आयोजित उद्योग संगम में व्यापार में सहूलियत विषय पर कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ उद्योगपति संजय सिंघल ने कहा कि व्यवसाय में सहूलियत तब होगी, जब उत्पादक को तरह-तरह की अनुमतियों से मुक्ति मिलेगी. सौ से अधिक अनुमतियों को चार-पांच में समेकित करना होगा और उसके लिए प्रक्रियागत सहजता लानी होगी. ऐसा होने पर ही बिजनेस बढ़ाने का समय मिलेगा, वर्ना आधा समय तो कागजी कार्यवाहियां ही खा जाती हैं. प्रक्रियागत छोटी से छोटी समस्या का रिकॉर्ड रखें और उसे समेकित रूप से सरकार तक पहुंचाएं.

लघु उद्योग भारती उदयपुर के अध्यक्ष मनोज जोशी ने कहा कि व्यापार में सहूलियत यानी ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस से भारत परम वैभवशाली परम शक्तिशाली राष्ट्र बन सकता है, क्योंकि यहाँ का उद्यमी राष्ट्र हित में व्यापार करता है.

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