भारत सनातन काल से ही विश्व का पथ प्रदर्शक रहा है – राम माधव

जोधपुर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य राम माधव जी ने कहा कि भारत सनातन काल से ही विश्व गुरु रहा है. वसुधैव कुटुंबकम की धारणा के साथ विश्व का मार्गदर्शन करते हुए पथ प्रदर्शक रहा है. वर्तमान समय में अध्यात्म और योग के माध्यम से हम पुनः मानसिक उत्थान के अग्रदूत बनकर विश्व में उभर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमारी बढ़ती जनसंख्या एक चुनौती है, वहीं दूसरी तरफ विशाल जनसंख्या और विश्व की सर्वाधिक युवा शक्ति के बलबूते पर दृढ़ संकल्पित नेतृत्व के दम पर बढ़ती अर्थव्यवस्था और विशाल उपभोक्ता बाजार के कारण विश्व की बड़ी आर्थिक शक्तियों से लोहा लेने की स्थिति में है. एक तरफ हमारे प्रतिभावान युवाओं का अन्य देशों में जाकर कार्य करना, वहीं दूसरी तरफ उन्हीं भाईयों द्वारा वैश्विक कंपनियों के नेतृत्व करने के कारण भारत की शिक्षा का पूरे विश्व में लोहा माना जा रहा है. राम माधव जी विश्व संवाद केंद्र की ओर से एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज ऑडिटोरियम में आयोजित सनसिटी सोशल मीडिया कन्वेंशन में मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे.
कश्मीर के विषय पर कहा कि कश्मीर में युवाओं के साथ स्थानीय लोग भी अब आतंकवाद नहीं चाहते. सभी शांति के साथ रहने के लिए सरकार के साथ मिलकर बेहतर भविष्य के लिए उत्साहित हैं. युवाओं को पत्थर फेंकने के लिए पैसे देने वाले लोग आज जेलों में बैठे हैं. स्थानीय कश्मीर के नेता जब धारा 370 हटाने के समय नजरबंद थे, तब लोगों की प्रतिक्रियाएं थी कि उन्हें दो-तीन साल तक बंद ही रखा जाए ताकि हमारे घरों गली मोहल्लों व हमारे गांव शहर में शांति बनी रहे.


सोशल मीडिया पर कहा कि सोशल मीडिया को देश हित में उपयोग करना चाहिए. यह सोचने का विषय है, सोशल मीडिया नफरत फैलाए यह भी ठीक नहीं है. सोशल मीडिया वॉरियर्स शब्द जो आजकल प्रचलित हो रहा है, वह बहुत गलत है. सोशल मीडिया के एक्टिविस्ट बनने की जरूरत है, ना की वॉरियर्स. हमें हर समय युद्ध के लिए भी तैयार नहीं रहना है.
देश में स्वतंत्रता के 75 वर्षों के बाद परिवर्तन की बेला आई है. राष्ट्र सही दिशा में आगे बढ़ रहा है. संविधान बनाया गया, लेकिन संशोधन से ही आज देश सशक्त और विकसित श्रेणी में आया है. आंबेडकर जी ने संविधान बनाने से पूर्व ही कहा था कि राष्ट्र विकसित करने के लिए समाज को एक होना पड़ेगा. लेकिन आजादी के बाद से ही सरकारों ने देश को बांटने का काम किया. जाति, धर्म, प्रांत, भाषा, अल्पसंख्यक – बहुसंख्यक के आधार पर लगातार देश को बांटने का कार्य किया गया. तीन पीढ़ियों से अलग-अलग कहने का प्रयास किया गया जो ठीक किया जा रहा है. जिसे ठीक होने में समय तो लगेगा. पहले की सरकारें कश्मीर में आतंकवादियों को बिरयानी भेजती थी. और आज की सरकार गोली देती है.
दूसरे सत्र में हिन्दू इकोसिस्टम के संस्थापक और दिल्ली के पूर्व विधायक कपिल मिश्रा ने कहा कि देश में एक विचारधारा ऐसी है जो भारत के अस्तित्व को चुनौती देते हुए यहां की शांति को खंडित करने का सपना देखती है. उदयपुर के कन्हैया लाल हत्याकांड का उदाहरण देते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि एक को मारो और करोड़ों में भय फैलाओ, इसी अवधारणा के तहत इस विचारधारा के लोग कार्य  कर रहे हैं. उन्होंने इतिहास का उदाहरण देकर कहा कि देश की भावी पीढ़ी को पराजय का इतिहास पढ़ा कर हीनता भरने का कार्य शैक्षिक कर्णधारों द्वारा किया गया. भारत के वीरों की शौर्य गाथा को विस्मृत करने का षड्यंत्र इतिहास में स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है. सनातन योद्धा कभी पराजित नहीं हुए. लेकिन झूठे इतिहास के माध्यम से हमें यह बताया गया कि भारत के लोग गुलामी में रहे, जबकि वस्तुतः भारत कभी भी गुलाम नहीं रहा. भारत के लोगों ने संघर्ष किया और विजय प्राप्त की. मुगल काल में प्रयागराज को इलाहाबाद नाम देकर सदियों तक इसी नाम का उपयोग किया जाता रहा.

लेकिन जैसे ही देश में राष्ट्रीय विचार की सरकार आई तो इलाहाबाद के नाम को गंगा में बहा दिया गया और पुनः गौरवशाली प्रयागराज नाम शहर को मिल गया. यही हमारी जीत है कि लोक श्रुति के माध्यम से प्रयागराज का नाम सदियों तक एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक होता रहा.
उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी के प्रयोग से आतंकवाद को बढ़ाया जाता है और देश के टुकड़े करने हेतु देश के एक वर्ग में अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा दिया जाता रहा है. उन्होंने श्रद्धा हत्याकांड का उदाहरण देते हुए कहा कि हिन्दू समाज की बेटियों को हां और ना दोनों ही परिस्थितियों में हत्या व मौत के साए में जीना पड़ता है. दुख और शर्म की बात यह है कि ऐसे हत्यारों को बचाने के लिए एक पूरा इकोसिस्टम काम करता है. संस्थागत तरीके से जातीय असमानता पैदा कर बहुसंख्यक समाज का शोषण करने का काम भी विघटनकारी ताकतें कर रही हैं. अब देशवासियों व सनातन धर्म के उपासकों को सचेत होकर आत्मरक्षा हेतु खड़ा होना होगा.
पूर्व न्यायाधीश जस्टिस हिम्मतराम पंवार ने एक सत्र में कहा कि संविधान भारत के नागरिकों को अधिकार एवं पूर्ण सुरक्षा प्रदान करता है. भारतीय संविधान विश्व के श्रेष्ठ संविधान में से एक है. इसकी सफलता और सार्थकता का प्रामाणिक साक्ष्य यही है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है. लोकतांत्रिक प्रणाली के संचालन में भारत ने अपनी दक्षता और परिपक्वता का सतत प्रदर्शन किया है. समरसता, समन्वय, सामंजस्य, सह अस्तित्व के बोध से सराबोर भारतीय संस्कृति सब के कल्याण की कामना में भरोसा रखती है और यह बात भारत के संविधान में भी स्पष्ट रूप से लिखी गई है.
जस्टिस पंवार ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में भाईचारे का बुनियादी मूल्य उपनिषद के वसुधैव कुटुंबकम के आदर्श वाक्य से लिया गया है, जिसका मतलब होता है कि पूरा ब्रह्मांड एक परिवार है. संविधान निर्माताओं ने कहा है कि भारतीय मूल्यों का चरित्र हमारी सनातन संस्कृति का चरित्र रहा है.

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