भविष्य का भारत, प्रेरणा विमर्श -2022 का समापन समारोह

भविष्य के भारत का निर्माण भारत के स्वत्व और भारतीयता के आधार पर

समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक एवं प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे नंद कुमार ने कहा कि भविष्य के भारत का निर्माण भारत के स्वत्व और भारतीयता के आधार पर ही होगा। उन्होने कहा कि सिनेमा कला के साथ साथ माध्य़म भी है। यह केवल मोद के लिए ही नहीं अपितु बोध के लिए भी है। उन्होंने कहा कि किसी भी राष्ट्र का उत्थान उसकी संस्कृति पंरपरा और स्वत्व के आधार पर ही होता है। साम्यवाद और पूंजीबाद की असफलता ने विश्व को यह बता दिया है कि किसी एक वैश्विक सिद्धान्त के आधार पर सार्वभौमिक विकास नहीं किया जा सकता है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने कहा लोकतंत्र की रक्षा आंतरिक सुरक्षा और समाज में जन जागृति का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व मीडिया का होता है।

भारत सरकार के डिजिटल क्रांति से नव भारत निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। इस अवसर पर सुदर्शन टीवी के प्रधान संपादक सुरेश च्वहाण के ने कहा कि आज का युग इन्फॉरमेशन वार का युग है। आने वाला युग सूचनाओं के आधार पर ही लड़ा जायेगा। इस युग हिन्दू राष्ट्रवादी लोगों का सक्रिय रहना अनिवार्य है। भारतीय चित्र साधना के सचिव अतुल गंगवार ने कहा नवोदित फिल्मकारों को भारत के स्वत्व को काम करने हेतु प्रेरित किया जा रहा है। इस अवसर पर विमर्श में आयोजित लघु फिल्मोत्सव के प्रतिभागियों एबं नवोदित पत्रकारों को भी पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर केशव संवाद पत्रिका के अंक भविष्य के भारत का विमोचन भी किया गया। इस दौरान अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

समापन समारोह से पूर्व आज फिल्म विमर्श और मास्टर क्लास का सत्र भी था। प्रथम सत्र में फिल्म विमर्श एवं मास्टर क्लास में फिल्म जगत की जानी मानी हस्तियों ने भाग लिया और नवोदित फिल्मकारों को कामयाबी के कई टिप्स दिए। प्रख्यात भरतनाट्यम कलाकार श्रीमती राजभर ने एक भजन प्रस्तुत किया और भजन के पात्रों को नृत्य मुद्राओं के द्वारा प्रदर्शित किया। चित्र भारतीय चित्र साधना के राष्ट्रिय सचीव अतुल गंगवार ने कहा, सिनेमा भारतीय जीवन का अभिन्न अंग है। जैसे-जैसे समय और समाज बदला वैसे वैसे फिल्मों का दौर भी बदलता गया। यह सिर्फ मनोरंजन का साधन नहीं रहा बल्कि लोगों को जगाने और आदर्श को प्रस्तुत करने के लिए भी फिल्में बनाई जाती है। सिनेमा में समाज को बदलने की ताकत है।
छात्रों को संबोधित करते हुए प्रसिद्ध स्क्रीप्ट लेखक मधुकर पांडेय ने कहा कि स्क्रीप्ट के हिसाब से रामचरित मानस सबसे बड़ी स्क्रीप्ट है। उसमें मानव जीवन के सभी भावों और सम्बधों का बड़े रोचक रूप में उल्लेख किया गया है। एक स्क्रीप्ट लेखक को रामचरित मानसे से अवश्य सीखना चाहिए।


इस दौरान उन्होंने स्क्रीप्ट लेखन के विविध आयामों पर विस्तार से चर्चा की।
फिल्म निर्देशक नारायण सिंह चौहान ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए फिल्मों के बजट के बारे में बताया और कहा कि बड़े बजट की फिल्मों से घबराने की जरूरत नहीं है। फिल्में छोटे बजट में भी बन सकती है। फिल्मों के लिए हमेशा बड़े और महंगे स्टार की जरूरत नहीं है।
इस दौरान छात्रों को संबोधित करते हुए फिल्म निर्देशक और अभिनेता रतन सिंह राठौर ने कहा कि फिल्म बनाने से पहले आप स्वयं पढिए, तभी आप फिल्म के क्षेत्र में सफल होंगे। इस दौरान उन्होंने एक कामयाब अभिनेता के कई गुण बताए।

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