राजस्थान में पहली बार हुआ संस्कृत में शपथ लेने वाले 21 विधायकों का सम्मान समारोह

संस्कृत भाषा प्राचीनतम भाषा है। आज इस विज्ञान वाणी को जानने की युवाओं को आवश्यकता है। भारत का समस्त ज्ञान-विज्ञान इसी भाषा में सन्निहित है। संस्कृत और संस्कृति दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। आज संस्कृति को यदि बचाना है तो संस्कृतभाषा को व्यवहार लेकर आयें। यह बात मुख्य अतिथि के रूप में आए हुए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के जयपुर परिसर में 19 जनवरी को संस्कृत मासपत्रिका ‘भारती तथा संस्कृतभारती जयपुर प्रान्त द्वारा समायोजित सम्मान समारोह में कही। 16 वीं विधानसभा में संस्कृतभाषा में शपथ लेने वाले 21 विधायकों के सम्मान कार्यक्रम में अध्यक्षता कर रहे संस्कृत शिक्षा मन्त्री मदन दिलावर ने कहा कि मैं चाहता हूं है कि मैं संस्कृत भाषा में सम्भाषण कर सकूं। संस्कृत भाषा के बिना भारत की कल्पना करना दुष्कर है क्योंकि संस्कृत भारत की आत्मा है। आज आवश्यकता है कि हम सभी संस्कृत को व्यवहार में लाकर उसका संवर्धन करें। संघ के वरिष्ठ प्रचारक एवं संस्कृत भारती के अखिल भारतीय सम्पर्क प्रमुख श्रीशदेव पुजारी ने मुख्यवक्ता के रूप में कहा कि नूतन शिक्षा नीति का क्रियान्वयन राजस्थान में शीघ्र ही किया जाना चाहिए। नई शिक्षा नीति के अनुसार षष्ठी कक्षा से आरम्भ होकर शिक्षा के अन्तिम चरण तक छात्र कोई भी संविधान मान्य भाषा, भाषा के रूप में अथवा विषय के नाते पढ़ सकता है। अतः शासन सभी सामान्य विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में एक संस्कृत शिक्षक या प्राध्यापक छात्रों को संस्कृत पढ़ाने के लिए सुनिश्चित करें और संस्कृतभाषा के माध्यम से ही यह अध्ययन हो।उन्होनें मुम्बई और खड्गपुर के आई.आई.टी संस्थाओं में इस तरह संस्कृत को लागू किए जाने का भी उदाहरण दिया।
शिक्षामन्त्री मदन दिलावर के समक्ष यह माँग भी उठी कि 50,000 विद्यालयों में से महज 1500 विद्यालयों में ही ऐच्छिक विषय हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में संस्कृत को उचित स्थान देने की भी मांग उठी।
सम्मानित विधायक – इस समारोह में विधानसभा
अध्यक्ष वासुदेव देवनानी, शिक्षा मन्त्री मदन दिलावर ,सरकार में मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग, पशुपालन व देवस्थान मंत्री जोराराम कुमावत, गोपालशर्मा (सिविल लाइन्स), मांडलगढ से जेठानन्द व्यास, छगनसिंह राजपुरोहित,पोखरण से महन्त प्रतापपुरी, हवामहल विधायक बालमुकुन्दाचार्य, युनूस खान, बाबू‌सिंहराठौड, लादूलाल पीतलिया, शंकरलाल डेचा उदयलाल भडाना का अयोध्या राममंदिर के प्रतीक चिह्न, प्रशस्तिपत्र, भारती मासपत्रिका एवं संस्कृतसाहित्य और भगवा दुपट्टा ओढाकर सम्मानित किया गया।
समारोह में संस्कृत जगत् के 500 से अधिक अनेक विद्वान, गणमान्यजन एवं छात्र छात्राओं ने भाग लिया। मुख्य रूप से कार्यक्रम में भारती पत्रिका के प्रबन्ध सम्पादक श्री सुदामा शर्मा, पालक श्रीकान्त शर्मा ,भारतीय संस्कृत प्रचार संस्थान के सचिव डॉ सुधीर कुमार शर्मा, सह सचिव के.के.शर्मा , कार्यालय प्रमुख राजीव दाधीच , संस्कृत भारती के क्षेत्रीय संयोजक तगसिंह राजपुरोहित, अखिल भारतीय पत्राचार प्रमुख हुलाश चन्द्र, नाथुलालसुमन, प्रान्त मन्त्री कृष्ण कुमार कुमावत, प्रान्तप्रचारप्रमुख डॉ. स्नेहलता शर्मा, प्रशिक्षण प्रमुख घनश्याम हरदेनिया , हेमन्त शर्मा एवं अन्य संस्कृतानुरागी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का संचालन संस्कृत भारती की प्रान्तप्रचार प्रमुख एवं भारती पत्रिका की सहायक सम्पादक डॉ० स्नेहलता शर्मा ने किया

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