हिन्दुओं की शक्ति किसी को डराने के लिए नहीं— मिलिंद परांडे

बैंकॉक
हिन्दुओं की शक्ति किसी को भयभीत करने के लिए नहीं है बल्कि यह विश्व भर में मानवता के कल्याण के लिए है। विश्व हिन्दू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद परांडे ने वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस को विश्व भर में हिन्दू शक्ति के जागरण का प्रमाण बताया। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि पूरे विश्व का हिन्दू जागृत और संगठित हो रहा है। इसका मतलब ये नहीं समझा जाना चाहिए कि हिन्दुओं की यह शक्ति किसी को डराने या प्रभाव स्थापित करने के लिए है। इसे बिल्कुल स्पष्ट ऐसे समझा जाना चाहिए कि ये शक्ति विश्व में मानवता कल्याण के लिए है।
परांडे ने कहा कि सनातन का यश, ऐश्वर्य, वैभव कैसे बढ़े और इसके माध्यम से मानवता का कैसे कल्याण हो, इस उद्देश्य से यह हिन्दू चिंतन किया गया है। इसमें अलग— अलग ढंग से कार्य करने वाले हिन्दू व्यक्ति और संगठन, एक होकर संपूर्ण हिन्दू समाज के उत्थान के लिए समन्वित प्रयत्न किस प्रकार से करें इस बात को वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के मंच पर रखा गया है जो दरअसल इसी लक्ष्य प्राप्ति का मंच है। यहां जिस वृद्धि, शक्ति, यश, विजय की बात की गई है, उस बारे में स्पष्ट ये है कि हमारी शक्ति किसी के विरोध में या किसी को पराजित करने के लिए नहीं है। यह सबके कल्याण के लिए है। अत: हिन्दू शक्ति से किसी को भयभीत होने की जरूरत नहीं है। लेकिन इसके साथ ही यह शक्ति इतनी बड़ी अवश्य होगी कि कोई हम पर टेड़ी नज़र नहीं डाल पाएगा।
हमारी शक्ति ऐसी होगी कि विश्व में जो भी कमजोर होगा, वह अपनी रक्षा एवं कल्याण के लिए हमारे पास आएगा। उन्होंने कहा कि हमारा विचार ‘सक्षम का अस्तित्व रक्षण’ यानी (सरवाइवल ऑफ दि फिटेस्ट) का नहीं है क्योंकि यह जंगल या प्रकृति का नियम हो सकता है। लेकिन हमारा विचार ‘दुर्बल का अस्तित्व रक्षण’ यानी (सरवाइवल ऑफ दि वीकेस्ट) का है जो हमारी संस्कृति है।
“हम विकृति की दिशा में नहीं, संस्कृति और सकृति के मार्ग पर जा रहे हैं। वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस उसी का चिंतन और विज़न है।”
थाईलैंड के प्रधानमंत्री ने सभा को भेजे अपने संदेश में कहा कि थाईलैंड के लिए हिन्दू धर्म के सिद्धांतों और मूल्यों पर आयोजित वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस की मेजबानी करना सम्मान की बात है। उनके देश में हिन्दू धर्म के सत्य और सहिष्णुता के सिद्धांतों का हमेशा से आदर रहा है। आशा है कि आज की इस उथल-पुथल भरी दुनिया सत्य, सहिष्णुता और सौहार्द्र के हिंदू जीवन मूल्यों से प्रेरणा लेगी और विश्व में शांति स्थापित हो सकेगी।
सम्मेलन में विश्व के 61 देशों के करीब 2200 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिसमें अर्थव्यवस्था, शिक्षा, अकादमिक, मीडिया और राजनीतिक क्षेत्र तथा युवा और महिला सहित सात वर्गों पर फोकस के साथ ही करीब 50 सत्र समानांतर ढंग से आयोजित किए गए। सूत्रधार स्वामी विज्ञानानंद ने दीप प्रज्ज्वलन एवं शंखनाद करके कार्यक्रम की शुरुआत की।

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