ग्राहक को लेकर संपूर्ण अर्थ जगत का चिंतन करने वाला संगठन है ग्राहक पंचायत – डॉ. मोहन भागवत जी

जहां अर्थ है, वहां ग्राहक है – अश्वनी कुमार चौबे

पट्टीकल्याण, पानीपत.

अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत के स्वर्ण जयंती वर्ष उद्घाटन समारोह आज सेवा साधना विकास केंद्र, पट्टी कल्याण, समालखा में संपन्न हुआ. देश में ग्राहकों के लिए कार्य करने वाले इस संगठन के देशभर से आए 800 पदाधिकारी कार्यक्रम में उपस्थित थे. उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत प्रमुख रूप से उपस्थित थे. केंद्रीय उपभोक्ता कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में भाग लिया. मंच पर बड़ौदा इस्कॉन के प्रमुख स्वामी नित्यानंद जी तथा स्वामी विचार चिन्मयानंद जी के साथ स्वर्ण जयंती वर्ष समारोह समिति के अध्यक्ष अशोक पांडे व ग्राहक पंचायत के अध्यक्ष नारायण भाई शाह भी उपस्थित थे.

दीप प्रज्ज्वलन के साथ कार्यक्रम आरंभ हुआ. स्वागत सत्कार के बाद उपभोक्ता राज्य मंत्री अश्विनी चौबे जी ने कहा कि आज ग्राहक पंचायत के स्वर्ण जयंती वर्ष के उद्घाटन के साथ ही देश में G-20 सम्मेलन का भी उद्घाटन हो रहा है. जी-20 में सम्मिलित देश विश्व की अर्थव्यवस्था के 70% का प्रतिनिधित्व करते हैं. जहां अर्थ है, वहां ग्राहक है. इस दृष्टिकोण से ग्राहक पंचायत का कार्य महत्वपूर्ण है. कौटिल्य ने भी कहा था – राजा और प्रजा के बीच पिता पुत्र का संबंध होता है. कुछ दिन पहले हमने एनसीआर में ग्राहकों को लाभ देने वाली एक योजना प्रारंभ की है. हमने किसानों से उनका उत्पादन सीधे खरीद कर ग्राहकों तक पहुंचाना शुरू किया है. इस योजना में श्री अन्न को भी सम्मिलित किया गया है. यदि यह प्रयोग सफल हुआ तो सरकार देश के सभी ग्राहकों के घरों तक किसानों के उत्पादों को सीधे पहुंचाने का कार्य करेगी. हमें प्रगति तथा प्रकृति दोनों की आवश्यकता है. ग्राहकों को गुणवत्ता युक्त वस्तु मिले, यह विश्वास दिलाने की आवश्यकता है. हमने गहनों में हॉलमार्क अनिवार्य किया है. ताकि ग्राहकों को ठगी से बचाया जा सके. भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में भी हमने कार्रवाई की है. आगे भी ग्राहक पंचायत के प्रतिनिधियों के साथ सरकार सहभागिता कर ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने तथा उन्हें शोषण से बचाने के लिए सभी तरह के संभव उपाय को अपनाने का प्रयास करेगी.

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि संगठन के 50 वर्ष पूरे होने के कारण हम इसे स्वर्ण जयंती वर्ष कह रहे हैं. ग्राहकों की समस्याओं को लेकर ग्राहक पंचायत ने जो कार्य किए हैं, उसके अनुसार हम इसे स्वर्ण जयंती वर्ष के स्थान पर स्वर्णिम वर्ष भी कह सकते हैं. ग्राहकों की समस्याओं पर कार्य करने वाले पहले भी थे. परंतु ग्राहक को लेकर संपूर्ण अर्थ जगत का चिंतन करने वाला, ग्राहक पंचायत पहला संगठन है. शासन को भी उसने ग्राहक हित का कार्य करने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया है. ग्राहक दर्शन देना, उसे अनुभव की कसौटी पर परख कर समाज जीवन में ले जाना आसान कार्य नहीं है. परंतु ग्राहक पंचायत ने यह कर दिखाया है. संपूर्ण समाज ग्राहक है. ग्राहक आंदोलन की आयु नहीं होती, क्योंकि समाज में सदैव ग्राहक रहने वाले हैं.

परंतु संगठन को समय समय पर अपने कार्यों का सिंहावलोकन करते रहना चाहिए. जिससे यह पता चलता है कि हमने जो कार्य किया, उनमें क्या कमियां थी और क्या गुणवत्ता थी. कमियों को छोड़ गुणवत्ता के सहारे आगे बढ़ना ही संगठन का कार्य होना चाहिए. ग्राहक पंचायत शासन प्रशासन से बात करते समय अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग भी करती होगी. अंग्रेजी में कंज्यूमर शब्द आता है, इसका मतलब होता है खाना (कंज्यूम), आवश्यक नहीं व्यक्ति तभी खाये, जब उसे भूख लगी हो, वह रुचिकर होने पर भूख न लगने पर भी खा सकता है. परंतु ग्राहक शब्द आते ही पूरा भाव बदल जाता है. इसीलिए ग्राहक पंचायत ने ग्राहक शब्द को चुना है.

क्योंकि पूरा समाज ग्राहक है अतः हमारा कार्य क्षेत्र संपूर्ण समाज है. जब तक हम समाज व्यापी नहीं होते, हमें अपने कार्य का समुचित लाभ नहीं मिलेगा. अगले वर्षों की हमारी चरणबद्ध योजना होनी चाहिए. संपूर्ण समाज में, ग्राहकों के समूह में ग्राहकों का स्वभाव बनाने वालों तक हमें पहुंचना है. ग्राहक पंचायत संगठन का सबसे छोटा कार्यकर्ता जितना मजबूत होगा, उतनी ही मजबूत ग्राहक पंचायत होगी. समस्या समाधान, ग्राहकों का प्रबोधन आदि करना ग्राहक पंचायत का प्रमुख कार्य है. ग्राहक पंचायत के साथ पंचायत शब्द जुड़ा है. पंचायत शब्द आते ही यह भाव आ जाता है कि समाज का पंचों में विश्वास होता है. क्योंकि पंच निःस्वार्थ भाव से कार्य करते हैं. ग्राहक पंचायत लोक संगठन है. अतः 75 वर्षों तक हमें अपने कार्य को चार गुना बढ़ाना है. यह कैसे करना है, यह सोचने के लिए ही यह अधिवेशन है.

 

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